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निकली

बाहर निकलना, घर या किसी जगह को छोड़कर कहीं जाना, समास में प्रयुक्त

निकली होंटों चढ़ी कोठों

मुँह से बात निकली और मशहूर होगई

निकली तो घूँघट क्या

जब पर्दे से बाहर हुई तो फिर घूंघट का क्या निकालना

निकली हल्क़ से, चली ख़ल्क़ में

बात मुँह से निकल कर राज़ नहीं रहती बहुत जल्दी फैलती है

निकली हलक़ से चढ़ी ख़लक़ से

बात मुँह से निकलते ही मशहूर या प्रसिद्ध हो जाती है

निकली हल्क़ से चली ख़ल्क़ में

बात मुँह से निकलते ही मशहूर या प्रसिद्ध हो जाती है

निकली तो घूँगट क्या

جب پردے سے باہر ہوئی تو پھر گھونگٹ کا کیا نکالنا، بے شرم کے متعلق کہتے ہیں

होंठों निकली कोठों चढ़ी

रुक : होंटों निकली कोठों चढ़ी

होंटों निकली कोठों चढ़ी

मुँह से बात निकलते ही मशहूर हो जाती है, बात कहते हुए एहतियात करनी चाहिए चुपके से कहने के बावजूद फ़ौरन फैल जाती है

पाँच तुम्हारी निकली काँच

ये जुमला आम लड़के आपस में मज़ाक़ से कहते हैं

क्या कोई शाख़ निकली है

۔ کیا کوئی انوکھی بات ہے۔ ؎

मुँह निकली कोठों चढ़ी

रुक : मुँह से निकली पराई हुई

होंटों निकली कोठों पहोंची

रुक : होंटों निकली (और) कोठों चढ़ी

मुँह से निकली पराई हुई

जो बात ज़बान से व्यक्त हो जाए वह राज़ नहीं रहती, राज़ मुँह से निकलते ही प्रसिद्ध हो जाता है

होंटों निकली कोठों पहुँची

रुक : होंटों निकली (और) कोठों चढ़ी

पाएँचे से निकली पड़ती है

۔ (عو) غصے کے مارے آپے سے باہر ہوئی جاتی ہے۔

होंटों से निकली कोठों चढ़ी

मुँह से बात निकलते ही मशहूर हो जाती है , रुक : होंटों निकली कोठों चढ़ी

मुँह से निकली कोठों चढ़ी

रुक : मुँह से निकली पराई हुई

तलवार मियान से निकली पड़ती है

۔قتل کرنے پر آمادہ ہے۔ نہایت خونخوار ہونے کی جگہ۔

होंटों की निकली कोठों चढ़ी

रुक : होंटों निकली (और) कोठों चढ़ी

ग़रज़ निकली आँख बदली

selfish person is never true to anyone

मुँह निकली, कोठों चढ़ी

۔ مثل۔ دیکھو مُنھ سے نکلی پرائی ہوئی۔

पाँव तले की ज़मीन निकली जाती है

۔ (ओ) १। जब किसी मुसीबत के बयां में मुबालग़ा मंज़ूर होता है ये फ़िक़रा कहती हैं। यानी इस मुसीबत से ज़मीं काँपती है। हवासबाख़ता हुए जाते हैं। �

नाचने निकली तो घूँगट कैसा

जब सार्वजनिक स्थान पर किए जाने वाला काम चुना तो फिर लाज कैसी, ठान ही लिया तो फिर इस में लाज करना बेकार है

नाचने निकली तो घूँगट कैसा

जब मंज़रे आम पर किए जाने वाला काम इख़तियार किया तो फिर श्रम कैसी , इरादा ही कर लिया तो फिर इस में शर्माना अबस है

नाचने निकली तो घूँगट क्या

जब मंज़रे आम पर किए जाने वाला काम इख़तियार किया तो फिर श्रम कैसी , इरादा ही कर लिया तो फिर इस में शर्माना अबस है

नियाम से तलवार निकली पड़ना

तलवार का जोश के सबब ख़ुदबख़ुद नयाम से बाहर आना

कोठी में से मोठी नहीं निकली

बाप-दादा की संपत्ति में से अभी कुछ व्यय नहीं हुआ

आँखें ग़ुल्ला सी निकली हुई होना

उभरी हुई आँखें होना

मुँह से बात निकली हवा में फिरी

बात कहने के बाद प्रसिद्ध हो जाती है

जब नाचने निकली तो घूँगट क्या

जब सार्वजनिक स्थान पर किए जाने वाला काम चुना तो फिर लाज कैसी, ठान ही लिया तो फिर इस में लाज करना बेकार है

खोदा पहाड़ निकली चूहिया

मेहनत बहुत की और हासिल बहुत कम हुआ

कुत्ते की दुम बारह बरस ज़मीन में गाड़ी टेढ़ी ही निकली

तबीयत और फ़ित्रत की कजी कोशिश से नहीं जाती, बदतीनत पर सोहबत का कुछ असर नहीं होता (लाख कोशिश के बावजूद जब कोई तबदीली वाक़्य ना हो तो कहते हैं)

आँखें निकली पड़ती हैं

सर और आंखों में शदीद दर्द है

बात मुँह से निकली पराई हुई

राज़ यदि किसी को बता दिया जाए तो वह फैल जाता है, फिर वह राज़ राज़ नहीं रहता

मुँह से निकली हुई पराई बात

राज़ यदि किसी को बता दिया जाए तो वह फैल जाता है, फिर वह राज़ राज़ नहीं रहता

कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात फिर नहीं आते

बहुत सोचने समझने के बा'द बात कहनी चाहिए

ज़मीन पाँव के नीचे से निकली जाती है

बुरा ज़माना है, कोई किसी का नहीं, बहुत घबराहट है

कुत्ते की दुम बारह बरस नल्की में रखी जब निकली टेढ़ी की टेढ़ी ही रहेगी

کج فہم یا بُری عادت والا انسان فہائش اور تربیت سے بھی درست نہیں ہوتا.

ग़रज़ निकली आँख बदली

मतलबी बे मर वित्त होता है, तोता चश्मी का इज़हार करते वक़्त कहते हैं

बाईं पस्ली की निकली

बीवी, पत्नी (कहा गया है कि हज़रत हव्वा हज़रत आदम की बाएंँ पसली से पैदा की गईं थीं)

बात मुँह से निकली हज़ार में पड़ी

भेद यदि किसी से भी बता दिया जाए तो फिर वह फैल जाता है, फिर वह भेद, भेद नहीं रहता

कुत्ते की दुम बारा बरस के बा'द भी टेढ़ी ही निकली

तबीयत और फ़ित्रत की कजी कोशिश से दूर नहीं होती, बदतीनत को सोहबत का कुछ असर नहीं होता (लाख कोशिश के बावजूद भी जब कोई तबदील ना आए तो कहते हैं)

तलवार मियान से निकली पड़ना

क़तल करने पर आमादा होना, निहायत ख़ून होना

ज़बान से निकली अंबर चढ़ी

बात मुँह से निकली और प्रसिद्ध हुई

हल्क़ से निकली ख़ल्क़ में पड़ी

बात मुँह से निकलते ही मशहूर या प्रसिद्ध हो जाती है

ग़रीब को मारा तो नौ मन चर्बी निकली

(व्यंगनात्मक) ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता है जो ग़रीब होने का दिखावा करता हो और वास्तव में ग़रीब न हो

एक ग़रीब को मारा था तो सौ मन चर्बी निकली

कोई धनवान होने के बावजूद अपने आप को निर्धन दर्शाए तो कहते हैं

एक ग़रीब को मारा था तो नौ मन चर्बी निकली

कोई धनवान होने के बावजूद अपने आप को निर्धन दर्शाए तो कहते हैं

एक ग़रीब को मारा था तो नौ मन चर्बी निकली थी

(व्यंगनात्मक) ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता है जो ग़रीब होने का दिखावा करता हो और वास्तव में ग़रीब न हो

कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात फिर नहीं आती

बहुत सोचने समझने के बा'द बात कहनी चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में नाचने निकली तो घूँगट कैसा के अर्थदेखिए

नाचने निकली तो घूँगट कैसा

naachne niklii to ghuu.ngaT kaisaaناچْنے نِکلی تو گُھونگَٹ کَیسا

नाचने निकली तो घूँगट कैसा के हिंदी अर्थ

  • जब मंज़रे आम पर किए जाने वाला काम इख़तियार किया तो फिर श्रम कैसी , इरादा ही कर लिया तो फिर इस में शर्माना अबस है

ناچْنے نِکلی تو گُھونگَٹ کَیسا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • جب منظر عام پر کیے جانے والا کام اختیار کیا تو پھر شرم کیسی ؛ ارادہ ہی کر لیا تو پھر اس میں شرمانا عبث ہے ۔

Urdu meaning of naachne niklii to ghuu.ngaT kaisaa

  • Roman
  • Urdu

  • jab manzre aam par ki.e jaane vaala kaam iKhatiyaar kiya to phir shram kaisii ; iraada hii kar liyaa to phir is me.n sharmaanaa abas hai

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निकली

बाहर निकलना, घर या किसी जगह को छोड़कर कहीं जाना, समास में प्रयुक्त

निकली होंटों चढ़ी कोठों

मुँह से बात निकली और मशहूर होगई

निकली तो घूँघट क्या

जब पर्दे से बाहर हुई तो फिर घूंघट का क्या निकालना

निकली हल्क़ से, चली ख़ल्क़ में

बात मुँह से निकल कर राज़ नहीं रहती बहुत जल्दी फैलती है

निकली हलक़ से चढ़ी ख़लक़ से

बात मुँह से निकलते ही मशहूर या प्रसिद्ध हो जाती है

निकली हल्क़ से चली ख़ल्क़ में

बात मुँह से निकलते ही मशहूर या प्रसिद्ध हो जाती है

निकली तो घूँगट क्या

جب پردے سے باہر ہوئی تو پھر گھونگٹ کا کیا نکالنا، بے شرم کے متعلق کہتے ہیں

होंठों निकली कोठों चढ़ी

रुक : होंटों निकली कोठों चढ़ी

होंटों निकली कोठों चढ़ी

मुँह से बात निकलते ही मशहूर हो जाती है, बात कहते हुए एहतियात करनी चाहिए चुपके से कहने के बावजूद फ़ौरन फैल जाती है

पाँच तुम्हारी निकली काँच

ये जुमला आम लड़के आपस में मज़ाक़ से कहते हैं

क्या कोई शाख़ निकली है

۔ کیا کوئی انوکھی بات ہے۔ ؎

मुँह निकली कोठों चढ़ी

रुक : मुँह से निकली पराई हुई

होंटों निकली कोठों पहोंची

रुक : होंटों निकली (और) कोठों चढ़ी

मुँह से निकली पराई हुई

जो बात ज़बान से व्यक्त हो जाए वह राज़ नहीं रहती, राज़ मुँह से निकलते ही प्रसिद्ध हो जाता है

होंटों निकली कोठों पहुँची

रुक : होंटों निकली (और) कोठों चढ़ी

पाएँचे से निकली पड़ती है

۔ (عو) غصے کے مارے آپے سے باہر ہوئی جاتی ہے۔

होंटों से निकली कोठों चढ़ी

मुँह से बात निकलते ही मशहूर हो जाती है , रुक : होंटों निकली कोठों चढ़ी

मुँह से निकली कोठों चढ़ी

रुक : मुँह से निकली पराई हुई

तलवार मियान से निकली पड़ती है

۔قتل کرنے پر آمادہ ہے۔ نہایت خونخوار ہونے کی جگہ۔

होंटों की निकली कोठों चढ़ी

रुक : होंटों निकली (और) कोठों चढ़ी

ग़रज़ निकली आँख बदली

selfish person is never true to anyone

मुँह निकली, कोठों चढ़ी

۔ مثل۔ دیکھو مُنھ سے نکلی پرائی ہوئی۔

पाँव तले की ज़मीन निकली जाती है

۔ (ओ) १। जब किसी मुसीबत के बयां में मुबालग़ा मंज़ूर होता है ये फ़िक़रा कहती हैं। यानी इस मुसीबत से ज़मीं काँपती है। हवासबाख़ता हुए जाते हैं। �

नाचने निकली तो घूँगट कैसा

जब सार्वजनिक स्थान पर किए जाने वाला काम चुना तो फिर लाज कैसी, ठान ही लिया तो फिर इस में लाज करना बेकार है

नाचने निकली तो घूँगट कैसा

जब मंज़रे आम पर किए जाने वाला काम इख़तियार किया तो फिर श्रम कैसी , इरादा ही कर लिया तो फिर इस में शर्माना अबस है

नाचने निकली तो घूँगट क्या

जब मंज़रे आम पर किए जाने वाला काम इख़तियार किया तो फिर श्रम कैसी , इरादा ही कर लिया तो फिर इस में शर्माना अबस है

नियाम से तलवार निकली पड़ना

तलवार का जोश के सबब ख़ुदबख़ुद नयाम से बाहर आना

कोठी में से मोठी नहीं निकली

बाप-दादा की संपत्ति में से अभी कुछ व्यय नहीं हुआ

आँखें ग़ुल्ला सी निकली हुई होना

उभरी हुई आँखें होना

मुँह से बात निकली हवा में फिरी

बात कहने के बाद प्रसिद्ध हो जाती है

जब नाचने निकली तो घूँगट क्या

जब सार्वजनिक स्थान पर किए जाने वाला काम चुना तो फिर लाज कैसी, ठान ही लिया तो फिर इस में लाज करना बेकार है

खोदा पहाड़ निकली चूहिया

मेहनत बहुत की और हासिल बहुत कम हुआ

कुत्ते की दुम बारह बरस ज़मीन में गाड़ी टेढ़ी ही निकली

तबीयत और फ़ित्रत की कजी कोशिश से नहीं जाती, बदतीनत पर सोहबत का कुछ असर नहीं होता (लाख कोशिश के बावजूद जब कोई तबदीली वाक़्य ना हो तो कहते हैं)

आँखें निकली पड़ती हैं

सर और आंखों में शदीद दर्द है

बात मुँह से निकली पराई हुई

राज़ यदि किसी को बता दिया जाए तो वह फैल जाता है, फिर वह राज़ राज़ नहीं रहता

मुँह से निकली हुई पराई बात

राज़ यदि किसी को बता दिया जाए तो वह फैल जाता है, फिर वह राज़ राज़ नहीं रहता

कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात फिर नहीं आते

बहुत सोचने समझने के बा'द बात कहनी चाहिए

ज़मीन पाँव के नीचे से निकली जाती है

बुरा ज़माना है, कोई किसी का नहीं, बहुत घबराहट है

कुत्ते की दुम बारह बरस नल्की में रखी जब निकली टेढ़ी की टेढ़ी ही रहेगी

کج فہم یا بُری عادت والا انسان فہائش اور تربیت سے بھی درست نہیں ہوتا.

ग़रज़ निकली आँख बदली

मतलबी बे मर वित्त होता है, तोता चश्मी का इज़हार करते वक़्त कहते हैं

बाईं पस्ली की निकली

बीवी, पत्नी (कहा गया है कि हज़रत हव्वा हज़रत आदम की बाएंँ पसली से पैदा की गईं थीं)

बात मुँह से निकली हज़ार में पड़ी

भेद यदि किसी से भी बता दिया जाए तो फिर वह फैल जाता है, फिर वह भेद, भेद नहीं रहता

कुत्ते की दुम बारा बरस के बा'द भी टेढ़ी ही निकली

तबीयत और फ़ित्रत की कजी कोशिश से दूर नहीं होती, बदतीनत को सोहबत का कुछ असर नहीं होता (लाख कोशिश के बावजूद भी जब कोई तबदील ना आए तो कहते हैं)

तलवार मियान से निकली पड़ना

क़तल करने पर आमादा होना, निहायत ख़ून होना

ज़बान से निकली अंबर चढ़ी

बात मुँह से निकली और प्रसिद्ध हुई

हल्क़ से निकली ख़ल्क़ में पड़ी

बात मुँह से निकलते ही मशहूर या प्रसिद्ध हो जाती है

ग़रीब को मारा तो नौ मन चर्बी निकली

(व्यंगनात्मक) ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता है जो ग़रीब होने का दिखावा करता हो और वास्तव में ग़रीब न हो

एक ग़रीब को मारा था तो सौ मन चर्बी निकली

कोई धनवान होने के बावजूद अपने आप को निर्धन दर्शाए तो कहते हैं

एक ग़रीब को मारा था तो नौ मन चर्बी निकली

कोई धनवान होने के बावजूद अपने आप को निर्धन दर्शाए तो कहते हैं

एक ग़रीब को मारा था तो नौ मन चर्बी निकली थी

(व्यंगनात्मक) ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता है जो ग़रीब होने का दिखावा करता हो और वास्तव में ग़रीब न हो

कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात फिर नहीं आती

बहुत सोचने समझने के बा'द बात कहनी चाहिए

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