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"मेहर गई मोहब्बत गई गए नान और पान, हुक़्क़े से मुँह झुलस के विदा' किया मेहमान" शब्द से संबंधित परिणाम

क्या गया

क्या नुक़्सान हुआ, क्या हानि हुई, कुछ हानि नहीं हुई, क्या बिगड़ गया

क्या हो गया

इन्क़िलाब-ए-अज़ीम हो गया की जगह मुस्तामल

मेरा क्या गया

मेरा क्या नुक़्सान हुआ, मेरा क्या बिगड़ा

क्या ले गया शेर शाह, क्या ले गय सलीम शाह

माल-ओ-दौलत किसी के साथ नहीं जाता

क्या साँप सूँघ गया

क्यों नहीं बोलते, चुप क्यों हो, उत्तर क्यों नहीं देते

क्या मिल गया

क्या फ़ायदा हुआ, क्या हासिल हुआ

क्या क्या न हो गया

कौन सी बात रह गई, कौन सी रुसवाई ना हुई, बहुत कुछ हुआ

क्या क्या अरमान साथ ले गया

ज़िंदगी में इच्छाएं पूरी न हुईं, मृतक के बारे में कहते हैं

क्या था और क्या हो गया

समय अस्त-व्यस्त हो गया, बना हुआ काम या बात बिगड़ गई

ये क्या हो गया

अचानक कोई अफ़सोसनाक वाक़िया पेश आने पर बोलते हैं

ये दो दिन में क्या माजरा हो गया

थोड़े समय में किसी बहुत बड़े परिवर्तन के अवसर पर कहते हैं, दुनिया ही बदल गई

जल गया तो क्या कर लेगा

बहुत अप्रसन्न हुआ तो क्या बिगाड़ सकता है

चोर चोरी से गया तो क्या हेरा फेरी से भी गया

बुरी 'आदत नहीं जाती

चुड़ैल पर दिल आ गया तो फिर परी क्या है

जिस पर आदमी 'आशिक़ हो वो कुरूप भी हो तो सुंदर लगता है

चुड़ैल पर दिल आ गया तो फिर परी क्या चीज़ है

जिस पर आदमी 'आशिक़ हो वो कुरूप भी हो तो सुंदर लगता है

तेली का तेल भगत भैया जी की, तमाशबीन का क्या गया

जब काम कोई करे और प्रशंसा किसी और की हो तो कहते हैं

गुज़र गई गुज़रान, क्या झोंपड़ी क्या मैदान

जब ज़िंदगी गुज़र गई तो ये सोचना हमाक़त है कि अच्छी गुज़री या बुरी, जब उम्र का बड़ा हिस्सा गुज़र चुका है तो अच्छा बुरा बराबर है

गुज़र गई गुज़रान, क्या झोंपड़ी क्या मकान

जब ज़िंदगी गुज़र गई तो ये सोचना हमाक़त है कि अच्छी गुज़री या बुरी, जब उम्र का बड़ा हिस्सा गुज़र चुका है तो अच्छा बुरा बराबर है

सौ के रह गए सठ अधे गए नट, दस देंगे दस दिला देंगे दस का देना ही क्या

بالکل نادہند کی نِسبت کہتے ہیں نادہند مقروض کے متعلق کہا جاتا ہے کہ وہ طرح طرح کے بہانے بناتا ہے .

मुक़द्दर किया गया

भाग्य में लिखा हुआ, क़िस्मत में लिखा हुआ, ऐसी घटना जिसको टाला न जा सकता हो, ऐसी घटना जिससे बचा न जा सकता हो

उतर गई मुँह से लोई क्या करेगा कोई

मनुष्य निर्लज्जता चुन ले या निर्लज्ज हो जाए तो किसी का डर नहीं रहता, जब इज़्ज़त उतर जाती है या अपमानित हो जाता है तो मनुष्य निडर हो जाता है, धृष्ट या निर्लज्ज आदमी का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, लज्जाहीन व्यक्ति को किसी की परवाह नहीं होती

मेहर गई मोहब्बत गई गए नान और पान, हुक़्क़े से मुँह झुलस के विदा' किया मेहमान

मेहमान का आदर सम्मान कुछ नहीं किया, केवल बातों में टाल दिया

मुँह की गई लोई, तो क्या करेगा कोई

मनुष्य निर्लज्जता चुन ले या निर्लज्ज हो जाए तो किसी का डर नहीं रहता, जब इज़्ज़त उतर जाती है या अपमानित हो जाता है तो मनुष्य निडर हो जाता है, धृष्ट या निर्लज्ज आदमी का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, लज्जाहीन व्यक्ति को किसी की परवाह नहीं होती

मुँह की गई लोई, तो क्या करेगा कोई

निर्लज्ज को किसी की परवाह नहीं होती

सय्याँ गए लदनी लदाएँ झड़ा-झड़, सौ के पचास किये चले आए घर

जब कोई घाटा खा कर वापस आए तो कहते हैं कि आधा गंवा कर वापस गए

सौ के रहे सठ अधे गए नट, दस देंगे दस दिला देंगे दस का देना ही क्या

بالکل نادہند کی نِسبت کہتے ہیں نادہند مقروض کے متعلق کہا جاتا ہے کہ وہ طرح طرح کے بہانے بناتا ہے .

उतर गई लोई, तो क्या करेगा कोई

निर्लज्ज को किसी की परवाह नहीं होती

उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई

मनुष्य निर्लज्जता चुन ले या निर्लज्ज हो जाए तो किसी का डर नहीं रहता, जब इज़्ज़त उतर जाती है या अपमानित हो जाता है तो मनुष्य निडर हो जाता है, धृष्ट या निर्लज्ज आदमी का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, लज्जाहीन व्यक्ति को किसी की परवाह नहीं होती

चलनी में गई दूहने कर्म का क्या दोश

आप बेवक़ूफ़ी का काम करे तो इस में क़िस्मत का क्या क़सूर

कोई मरे, कोई मल्हार गाए

एक को दुख हो और दूसरा ख़ुशी मनाए

आछे दिन पाछे गए पर से किया न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आगे के दिन पाछे गए हर से कियो न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

सास गई गाँव बहू कहे मैं क्या क्या खाऊँ

while the cat is away the mice will play

आछे दिन पाछे गए, हरि से किया न हेत, अब पछताए होत का, चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

ज़बान क्या चली दो हल चल गए

जब कहते हैं कि बहुत बातें बिना सोचे समझे की जाएँ, बिना सोचे समझे बक-बक करना

क्या क्या अरमान रह गए

बहुत इच्छाएँ रह गईं, तमन्नाएँ नहीं निकलीं

अच्छे दिन पाछे गए बर से किया न बेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आँखें क्या चरने गई हैं

क्या सूझता नहीं

आगे के दिन पाछे गए हर से किया न हीत, अब पछताए क्या हुवत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

समय पर काम न करने के पश्चात पछताना व्यर्थ है

सास गई गाँव, बहू कहे मैं क्या क्या खाउं

सास की ग़ैरमौजूदगी में बहू मज़े उड़ाती है

आंखें क्या फूट गई हैं

ऐसी भी क्या असावधानी या बौखलाहट कि सामने की वस्तु भी दिखाई नहीं देती

गाय जब दूब से सुलूक करे क्या खाए

दूसरों का लिहाज़ करने वाला हानि उठाता है

बारह में तीन गए तो रहे क्या ख़ाक

वर्षा तीन महीने होती है यदि इन तीन महीनों में न हो तो ज़मीनदार उजड़ अर्थात बर्बाद हो जाता है

गाय जब दूब से सुलूक करे तो खाए क्या

दूसरों का लिहाज़ करने वाला हानि उठाता है

दूर गए की आस क्या

जो दूर हो जाए ऐसे व्यक्ति से किसी प्रकार की सहायता की आशा नहीं होती अर्थात जो व्यक्ति दूर चला जाए उससे कोई आस नहीं लगानी चाहिए

कोई आया न गया

۔ جب مال غائب ہوجاتا ہے اور چُرانے والےل کا پتہ نہیں لگتا تب یہ فقرہ کہتے ہیں۔ ؎

कोई आया न गया

किसी ग़ैर को आते जाते नहीं देखा, दो के सिवा तीसरा शख़्स आया न गया, आमतौर पर जब माल चोरी हो जाए और चोर का पता न चले तब ये जुमला कहते हैं

क्या गत हो गई

क्या हालत हो गई है मतलब बुरा हाल है

माँ डाएन हो गई तो क्या बच्चों ही को खाएगी

बुरा इंसान भी अपनों का लिहाज़ करता है, अपनों को कोई नक्साक् नहीं पहुंचाता चाहे ग़ैरों से कैसा सुलूक करे

जूतियाँ क्या सौंपीं ख़ान सामाँ बन गए

अदना इलतिफ़ात से मुख़तार बिन गए

पर नारी पैनी छुरी कोई मत लाओ संग, दसों सीस रावन के ढाए गए इस नारी के संग

पराई स्त्री के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहिए, रावण ने दस सर इसी कारण गंवाए

घर के जले बन में गए बन में लागी आग, बन बिचारा क्या करे जो हैं हमारे भाग

अभागे व्यक्ति का कहीं भी ठिकाना नहीं जहाँ जाएगा वहीं दुख उठाएगा

घर की जली बन गई बन में लागी आग बन बेचारा क्या करे कर्मों लागी आग

बदनसीब का कहीं ठिकाना नहीं जहां जाएगा बदक़िस्मती की वजह से सख़्ती उठाएगा

घर के जले बन गए बन में लागी आग, बन बिचारा क्या करे जो कर्मों लागी आग

अभागे व्यक्ति का कहीं भी ठिकाना नहीं जहाँ जाएगा वहीं दुख उठाएगा

घर के जले बन गए बन में लागी आग और बन बिचारा क्या करे जो कर्मों लागी आग

अभागे व्यक्ति का कहीं भी ठिकाना नहीं जहाँ जाएगा वहीं दुख उठाएगा

घर की जली बन में गई बन में लागी आग, बन बिचारा क्या करे जो कर्मों लागी आग

अभागे व्यक्ति का कहीं भी ठिकाना नहीं जहाँ जाएगा वहीं दुख उठाएगा

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मेहर गई मोहब्बत गई गए नान और पान, हुक़्क़े से मुँह झुलस के विदा' किया मेहमान के अर्थदेखिए

मेहर गई मोहब्बत गई गए नान और पान, हुक़्क़े से मुँह झुलस के विदा' किया मेहमान

mehar ga.ii mohabbat ga.ii ga.e naan aur paan, huqqe se mu.nh jhulas ke vidaa' kiyaa mehmaanمِہر گئی مُحَبَّت گئی گئے نان اور پان، حُقّے سے مُنہ جُھلَس کے وِداع کیا مِہْمان

कहावत

मेहर गई मोहब्बत गई गए नान और पान, हुक़्क़े से मुँह झुलस के विदा' किया मेहमान के हिंदी अर्थ

  • मेहमान का आदर सम्मान कुछ नहीं किया, केवल बातों में टाल दिया
  • कंजूस की मेहमानदारी के संबंध में कहते हैं

    विशेष मेहर- कृपा। नान- रोटी।

مِہر گئی مُحَبَّت گئی گئے نان اور پان، حُقّے سے مُنہ جُھلَس کے وِداع کیا مِہْمان کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • مہمان کی خاطر تواضع کچھ نہیں کی خالی خولی باتوں میں ٹال دیا
  • کنجوس کی مہمانداری کے متعلق کہتے ہیں

Urdu meaning of mehar ga.ii mohabbat ga.ii ga.e naan aur paan, huqqe se mu.nh jhulas ke vidaa' kiyaa mehmaan

  • Roman
  • Urdu

  • mehmaan kii Khaatir tavaazo kuchh nahii.n kii Khaalii kholii baato.n me.n Taal diyaa
  • kanjuus kii mehmaandaarii ke mutaalliq kahte hai.n

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क्या गया

क्या नुक़्सान हुआ, क्या हानि हुई, कुछ हानि नहीं हुई, क्या बिगड़ गया

क्या हो गया

इन्क़िलाब-ए-अज़ीम हो गया की जगह मुस्तामल

मेरा क्या गया

मेरा क्या नुक़्सान हुआ, मेरा क्या बिगड़ा

क्या ले गया शेर शाह, क्या ले गय सलीम शाह

माल-ओ-दौलत किसी के साथ नहीं जाता

क्या साँप सूँघ गया

क्यों नहीं बोलते, चुप क्यों हो, उत्तर क्यों नहीं देते

क्या मिल गया

क्या फ़ायदा हुआ, क्या हासिल हुआ

क्या क्या न हो गया

कौन सी बात रह गई, कौन सी रुसवाई ना हुई, बहुत कुछ हुआ

क्या क्या अरमान साथ ले गया

ज़िंदगी में इच्छाएं पूरी न हुईं, मृतक के बारे में कहते हैं

क्या था और क्या हो गया

समय अस्त-व्यस्त हो गया, बना हुआ काम या बात बिगड़ गई

ये क्या हो गया

अचानक कोई अफ़सोसनाक वाक़िया पेश आने पर बोलते हैं

ये दो दिन में क्या माजरा हो गया

थोड़े समय में किसी बहुत बड़े परिवर्तन के अवसर पर कहते हैं, दुनिया ही बदल गई

जल गया तो क्या कर लेगा

बहुत अप्रसन्न हुआ तो क्या बिगाड़ सकता है

चोर चोरी से गया तो क्या हेरा फेरी से भी गया

बुरी 'आदत नहीं जाती

चुड़ैल पर दिल आ गया तो फिर परी क्या है

जिस पर आदमी 'आशिक़ हो वो कुरूप भी हो तो सुंदर लगता है

चुड़ैल पर दिल आ गया तो फिर परी क्या चीज़ है

जिस पर आदमी 'आशिक़ हो वो कुरूप भी हो तो सुंदर लगता है

तेली का तेल भगत भैया जी की, तमाशबीन का क्या गया

जब काम कोई करे और प्रशंसा किसी और की हो तो कहते हैं

गुज़र गई गुज़रान, क्या झोंपड़ी क्या मैदान

जब ज़िंदगी गुज़र गई तो ये सोचना हमाक़त है कि अच्छी गुज़री या बुरी, जब उम्र का बड़ा हिस्सा गुज़र चुका है तो अच्छा बुरा बराबर है

गुज़र गई गुज़रान, क्या झोंपड़ी क्या मकान

जब ज़िंदगी गुज़र गई तो ये सोचना हमाक़त है कि अच्छी गुज़री या बुरी, जब उम्र का बड़ा हिस्सा गुज़र चुका है तो अच्छा बुरा बराबर है

सौ के रह गए सठ अधे गए नट, दस देंगे दस दिला देंगे दस का देना ही क्या

بالکل نادہند کی نِسبت کہتے ہیں نادہند مقروض کے متعلق کہا جاتا ہے کہ وہ طرح طرح کے بہانے بناتا ہے .

मुक़द्दर किया गया

भाग्य में लिखा हुआ, क़िस्मत में लिखा हुआ, ऐसी घटना जिसको टाला न जा सकता हो, ऐसी घटना जिससे बचा न जा सकता हो

उतर गई मुँह से लोई क्या करेगा कोई

मनुष्य निर्लज्जता चुन ले या निर्लज्ज हो जाए तो किसी का डर नहीं रहता, जब इज़्ज़त उतर जाती है या अपमानित हो जाता है तो मनुष्य निडर हो जाता है, धृष्ट या निर्लज्ज आदमी का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, लज्जाहीन व्यक्ति को किसी की परवाह नहीं होती

मेहर गई मोहब्बत गई गए नान और पान, हुक़्क़े से मुँह झुलस के विदा' किया मेहमान

मेहमान का आदर सम्मान कुछ नहीं किया, केवल बातों में टाल दिया

मुँह की गई लोई, तो क्या करेगा कोई

मनुष्य निर्लज्जता चुन ले या निर्लज्ज हो जाए तो किसी का डर नहीं रहता, जब इज़्ज़त उतर जाती है या अपमानित हो जाता है तो मनुष्य निडर हो जाता है, धृष्ट या निर्लज्ज आदमी का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, लज्जाहीन व्यक्ति को किसी की परवाह नहीं होती

मुँह की गई लोई, तो क्या करेगा कोई

निर्लज्ज को किसी की परवाह नहीं होती

सय्याँ गए लदनी लदाएँ झड़ा-झड़, सौ के पचास किये चले आए घर

जब कोई घाटा खा कर वापस आए तो कहते हैं कि आधा गंवा कर वापस गए

सौ के रहे सठ अधे गए नट, दस देंगे दस दिला देंगे दस का देना ही क्या

بالکل نادہند کی نِسبت کہتے ہیں نادہند مقروض کے متعلق کہا جاتا ہے کہ وہ طرح طرح کے بہانے بناتا ہے .

उतर गई लोई, तो क्या करेगा कोई

निर्लज्ज को किसी की परवाह नहीं होती

उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई

मनुष्य निर्लज्जता चुन ले या निर्लज्ज हो जाए तो किसी का डर नहीं रहता, जब इज़्ज़त उतर जाती है या अपमानित हो जाता है तो मनुष्य निडर हो जाता है, धृष्ट या निर्लज्ज आदमी का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, लज्जाहीन व्यक्ति को किसी की परवाह नहीं होती

चलनी में गई दूहने कर्म का क्या दोश

आप बेवक़ूफ़ी का काम करे तो इस में क़िस्मत का क्या क़सूर

कोई मरे, कोई मल्हार गाए

एक को दुख हो और दूसरा ख़ुशी मनाए

आछे दिन पाछे गए पर से किया न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आगे के दिन पाछे गए हर से कियो न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

सास गई गाँव बहू कहे मैं क्या क्या खाऊँ

while the cat is away the mice will play

आछे दिन पाछे गए, हरि से किया न हेत, अब पछताए होत का, चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

ज़बान क्या चली दो हल चल गए

जब कहते हैं कि बहुत बातें बिना सोचे समझे की जाएँ, बिना सोचे समझे बक-बक करना

क्या क्या अरमान रह गए

बहुत इच्छाएँ रह गईं, तमन्नाएँ नहीं निकलीं

अच्छे दिन पाछे गए बर से किया न बेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आँखें क्या चरने गई हैं

क्या सूझता नहीं

आगे के दिन पाछे गए हर से किया न हीत, अब पछताए क्या हुवत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

समय पर काम न करने के पश्चात पछताना व्यर्थ है

सास गई गाँव, बहू कहे मैं क्या क्या खाउं

सास की ग़ैरमौजूदगी में बहू मज़े उड़ाती है

आंखें क्या फूट गई हैं

ऐसी भी क्या असावधानी या बौखलाहट कि सामने की वस्तु भी दिखाई नहीं देती

गाय जब दूब से सुलूक करे क्या खाए

दूसरों का लिहाज़ करने वाला हानि उठाता है

बारह में तीन गए तो रहे क्या ख़ाक

वर्षा तीन महीने होती है यदि इन तीन महीनों में न हो तो ज़मीनदार उजड़ अर्थात बर्बाद हो जाता है

गाय जब दूब से सुलूक करे तो खाए क्या

दूसरों का लिहाज़ करने वाला हानि उठाता है

दूर गए की आस क्या

जो दूर हो जाए ऐसे व्यक्ति से किसी प्रकार की सहायता की आशा नहीं होती अर्थात जो व्यक्ति दूर चला जाए उससे कोई आस नहीं लगानी चाहिए

कोई आया न गया

۔ جب مال غائب ہوجاتا ہے اور چُرانے والےل کا پتہ نہیں لگتا تب یہ فقرہ کہتے ہیں۔ ؎

कोई आया न गया

किसी ग़ैर को आते जाते नहीं देखा, दो के सिवा तीसरा शख़्स आया न गया, आमतौर पर जब माल चोरी हो जाए और चोर का पता न चले तब ये जुमला कहते हैं

क्या गत हो गई

क्या हालत हो गई है मतलब बुरा हाल है

माँ डाएन हो गई तो क्या बच्चों ही को खाएगी

बुरा इंसान भी अपनों का लिहाज़ करता है, अपनों को कोई नक्साक् नहीं पहुंचाता चाहे ग़ैरों से कैसा सुलूक करे

जूतियाँ क्या सौंपीं ख़ान सामाँ बन गए

अदना इलतिफ़ात से मुख़तार बिन गए

पर नारी पैनी छुरी कोई मत लाओ संग, दसों सीस रावन के ढाए गए इस नारी के संग

पराई स्त्री के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहिए, रावण ने दस सर इसी कारण गंवाए

घर के जले बन में गए बन में लागी आग, बन बिचारा क्या करे जो हैं हमारे भाग

अभागे व्यक्ति का कहीं भी ठिकाना नहीं जहाँ जाएगा वहीं दुख उठाएगा

घर की जली बन गई बन में लागी आग बन बेचारा क्या करे कर्मों लागी आग

बदनसीब का कहीं ठिकाना नहीं जहां जाएगा बदक़िस्मती की वजह से सख़्ती उठाएगा

घर के जले बन गए बन में लागी आग, बन बिचारा क्या करे जो कर्मों लागी आग

अभागे व्यक्ति का कहीं भी ठिकाना नहीं जहाँ जाएगा वहीं दुख उठाएगा

घर के जले बन गए बन में लागी आग और बन बिचारा क्या करे जो कर्मों लागी आग

अभागे व्यक्ति का कहीं भी ठिकाना नहीं जहाँ जाएगा वहीं दुख उठाएगा

घर की जली बन में गई बन में लागी आग, बन बिचारा क्या करे जो कर्मों लागी आग

अभागे व्यक्ति का कहीं भी ठिकाना नहीं जहाँ जाएगा वहीं दुख उठाएगा

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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