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कौन है

है कोई ऐसा, कोई नहीं

कौन अम्र है

क्या समस्या है, क्या मामला है

तू कौन है

बिना कारण हस्तक्षेप करने वाले को चेतावनी, तेरी क्या हैसियत है

कौन चिड़िया है

क्या हक़ीक़त है, कोई हैसियत नहीं

कौन सुनता है

۔کوئی نہیں سنتا ہے۔ ؎

कौन बड़ी बात है

कोई ज़्यादा अहम बात नहीं, मामूली सी बात है, आसान काम है

कौन शय है

यह क्या चीज़ है, क्या संकट है

कौन बशर है

हम नहीं जानते कि वह कौन है

कौन सी बात है

कोई अहम मसला नहीं है

ये कौन बात है

यह क्या बात हुई, ऐसा नहीं करना चाहिए अथवा यह कोई मुश्किल बात नहीं

कौन सा दिन है

किस दिन, कोई ऐसा दिन नहीं

मुर्ग़ी की अज़ान कौन सुनता है

औरत की बात का कोई एतबार नहीं, अगर मुर्ग़ी की बजाय मुर्गे कहा जाए तो बकवासी डींग का क्या भरोसा

कौन कितने पानी में है

किस का क्या मान-मर्यादा है, क्या प्रतिष्ठा है, क्या दर्जा है, कितनी महत्ता है, पता चल जायेगा

कौन किसी की सुनता है

कोई किसी का कहा नहीं मानता, सब अपनी मर्ज़ी के मालिक हैं, कोई किसी की दाद फ़र्याद नहीं सुनता

कौन किस की सुनता है

۔کوئی کسی کی فریاد نہیں سنتا۔ ؎

कौन खेत की मूली है

रुक : किस खेत की मूली हो, निहायत बेहक़ीक़त हो, बेवक़ार और बेहैसियत हो

बिल्ली की म्याउं को कौन सुनता है

बड़े की अपेक्षा छोटे का सम्मान कौन करता है

पराई सार में कौन धुआँ करता है

कोई दूसरे की मदद नहीं करता

मुर्ग़ी की बाँग कौन सुनता है

'औरत की बात का क्या भरोसा, 'औरत की डींग का क्या भरोसा

होनी कौन टाल सकता है

भाग्य के लिखे को कोई नहीं बदल सकता, जो होना है सो होता है

कौन से क़ुरआन में लिखा है

۔کس قاعدہ سے جائز ہے۔ (بنات النعش) دکھا تو کون سے قرآن میں لکھا ہے کہ بچّہ پیٹ یں ہو اور بچّے والی چلے پھرے اور کام کرے۔

कौन सी हदीस में आया है

किसी नियम व कानून द्वारा स्वीकार्य है अर्थात यह बात सही नहीं

कौन सी कसर बाक़ी रखी है

क्या कुछ नहीं क्या, सब कुछ कर डाला, छोड़ा किया

चलती में कौन कसर करता है

जब दाँव चले, कौन फ़ायदा नहीं उठाता

कौन पराई आग में गिरता है

कोई किसी के कारणवश संकट मोल नहीं लेता

माँ से ले कर कौन आया है

सब सिखाए ही सीखते हैं

कौन कहता है

۔कोई नहीं कहता। में नहीं कहता।

कौन होता है

क्या ताल्लुक़ है, क्या रिश्ता है, क्या वास्ता है, संबंध क्या है

ख़ुदा देता है तो नहीं पूछ्ता तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

कौन बात है

अजीब-ओ-ग़रीब काम है, कैसा या कितना

कौन से मर्ज़ की दवा है

۔کس کام کا ہے۔ اِس سے کیا فائدہ ہے۔ محض نکمسا ہے۔ ؎ ؎ مخاطب سے کس مرض کی دوا ہو۔ کون سے مرض کی دوا ہو کہتے ہیں۔

आप का बायाँ क़दम कौन सा है

आप बड़े चालाक हैं

पराई सार कौन धुवाँ करता है

कोई भी दूसरे की मदद नहीं करता

कौन किसी के साथ मरता है

कोई किसी का साथ नहीं देता, मरने वाले से लाख मुहब्बत हो कोई उस के साथ नहीं जा सकता, कोई किसी के साथ नहीं मरता, सब मजबूर हैं

साथ कौन किसी के जाता है

मरने के वक़्त कोई साथ नहीं देता

मुर्ग़ की बाँग को कौन सुनता है

कम दर्जे के आदमी की तरफ़ कौन तवज्जा करता है

शुतुर की कौन सी कल सीधी है

हर बात बेढंगी है, हर काम में ख़ामी है (मशहूर कहावत यूं है: ऊंट रे ऊंट तेरी कौनसी कल सीधी)

बुरे वक़्त का कौन है जुज़ ख़ुदा

दुख के समय कोई साथ नहीं देता, केवल ईश्वर ही सहायता करता है

कौन से क़ुरआन में लिक्खा है

किस नियम और क़ानून से उचित है अर्थात् यह सही नहीं है

पराई सराए में कौन धुआँ करता है

कोई दूसरे की मदद नहीं करता

कौन सी बात उठा रक्खी है

क्या कमी छोड़ी है, कौन सी कसर बाक़ी रखी है, क्या नहीं किया

मुर्ग़े की बाँग को कौन सहीह रखता है

बकवासी की डींग का क्या एतबार या औरत की बात काबिल एव एतिमाद नहीं

कौन सी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

कोई ऐब से ख़ाली नहीं, कोई ना कोई इल्लत हर एक के साथ लगी होती है, हर शख़्स में कोई ना कोई ख़ामी ज़रूर होती है

कौन ऐसी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

कौन ऐसी किशमिश है जिस में लकड़ी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

मुर्ग़ी की बाँग को कौन सहीह कहता है

स्त्री की बात का कोई भरोसा नहीं

कौन सा दरख़्त है जिसे हवा नहीं लगी

ऐब और तकलीफ़ से कोई ख़ाली नहीं

कौन सा दरख़्त है जिसे हवा नहीं लगती

ऐब और तकलीफ़ से कोई ख़ाली नहीं

मछली के पूत को कौन तैरना सिखाता है

अपने पुश्तैनी या ख़ानदानी काम से हर व्यक्ति स्वयं अच्छी तरह परिचित होता है, उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं

कौन सी चक्की का पीसा खाया है

किसी चक्की का खाया है, उमूमन मोटे आदमी की निसबत कहते हैं

कौन सी चक्की का पिसा खाया है

किसी चक्की का खाया है, प्राय: मोटे आदमी के संबंध में कहते हैं

अपना हारा और मेहरी का मारा कौन कहता है

जुवारी अपना नुक़्सान और जोरू से मार खाने वाला अपना अपमान बयान नहीं करता, हर व्यक्ति अपने अपमान और ज़िल्लत पर पर्दा डालता है

वो कौन सी किश्मिश है जिस में तिनका नहीं

हर चीज़ में कोई न कोई त्रुटि होती है, कोई चीज़ त्रुटि से ख़ाली नहीं

कौन सा दरख़्त है जिस को हवा नहीं लगी

ऐब और तकलीफ़ से कोई ख़ाली नहीं

कौन सा दरख़्त है जिस को हवा नहीं लगती

ऐब और तकलीफ़ से कोई ख़ाली नहीं

कौन सा घर है जिस में मौत नहीं आई

मुसीबत और तकलीफ़ से कोई जगह ख़ाली नहीं

मछली के जाए को कौन तैरना सिखाता है

अपने पुश्तैनी या ख़ानदानी काम से हर व्यक्ति स्वयं अच्छी तरह परिचित होता है, उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं

जब ख़ुदा देने पर आता है तो ये नहीं पूछता कि तू कौन है

ईश्वर की कृपा नीच और उच्च पर समान होती है

जब ख़ुदा देने पर आता है तो यह नहीं पूछ्ता कि तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

ख़ाली बोरी और शराबी को कौन खड़ा रख सकता है

बगै़र सहारे या क़ुव्वत के कोई ज़ोर नहीं चलता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मछली के जाए को तैरना कौन सिखाए के अर्थदेखिए

मछली के जाए को तैरना कौन सिखाए

machhlii ke jaa.e ko tairnaa kaun sikhaa.eمَچْھلی کے جائے کو تَیرنا کَون سِکھائے

अथवा : मछली के बच्चे को पैरना किस ने सिखाया, मछली के बच्चे को तैरना कौन सिखाए, मछली के बच्चा को तैरना कौन सिखाए, मछली के पूत को कौन तैरना सिखाता है, मछली के बच्चे को तैरना किस ने सिखाया, मछली के जाए को कौन तैरना सिखाता है, मछ्ली के पूत को कौन तैरना सिखावे, मछ्ली के जाए किन तैराए

कहावत

मछली के जाए को तैरना कौन सिखाए के हिंदी अर्थ

  • अपने पुश्तैनी या ख़ानदानी काम से हर व्यक्ति स्वयं अच्छी तरह परिचित होता है, उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं
  • जिसका जो पैतृक गुण है वह अपने आप आ जाता है सिखाना नहीं पड़ता
  • योग्य व्यक्ति स्वयं होशियार अर्थात बुद्धिमान होते हैं, उन्हें ज्ञान की आवश्यक्ता नहीं होती

مَچْھلی کے جائے کو تَیرنا کَون سِکھائے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • اپنے آبائی یا خاندانی کام سے ہر شخص ازخود بخوبی واقف ہوتا ہے، اسے کسی سے سیکھنے کی ضرورت نہیں
  • جس کا جو نسلی ہنر ہے وہ اپنے آپ آ جاتا ہے سکھانا نہیں پڑتا
  • لیاقت مند خود ہوشیار ہوتے ہیں، انہیں تعلیم کی حاجت نہیں ہوتی

Urdu meaning of machhlii ke jaa.e ko tairnaa kaun sikhaa.e

  • Roman
  • Urdu

  • apne aabaa.ii ya Khaandaanii kaam se har shaKhs azkhud baKhuubii vaaqif hotaa hai, use kisii se siikhne kii zaruurat nahii.n
  • jis ka jo naslii hunar hai vo apne aap aa jaataa hai sikhaana nahii.n pa.Dtaa
  • liyaaqat mand Khud hoshyaar hote hain, unhe.n taaliim kii haajat nahii.n hotii

खोजे गए शब्द से संबंधित

कौन है

है कोई ऐसा, कोई नहीं

कौन अम्र है

क्या समस्या है, क्या मामला है

तू कौन है

बिना कारण हस्तक्षेप करने वाले को चेतावनी, तेरी क्या हैसियत है

कौन चिड़िया है

क्या हक़ीक़त है, कोई हैसियत नहीं

कौन सुनता है

۔کوئی نہیں سنتا ہے۔ ؎

कौन बड़ी बात है

कोई ज़्यादा अहम बात नहीं, मामूली सी बात है, आसान काम है

कौन शय है

यह क्या चीज़ है, क्या संकट है

कौन बशर है

हम नहीं जानते कि वह कौन है

कौन सी बात है

कोई अहम मसला नहीं है

ये कौन बात है

यह क्या बात हुई, ऐसा नहीं करना चाहिए अथवा यह कोई मुश्किल बात नहीं

कौन सा दिन है

किस दिन, कोई ऐसा दिन नहीं

मुर्ग़ी की अज़ान कौन सुनता है

औरत की बात का कोई एतबार नहीं, अगर मुर्ग़ी की बजाय मुर्गे कहा जाए तो बकवासी डींग का क्या भरोसा

कौन कितने पानी में है

किस का क्या मान-मर्यादा है, क्या प्रतिष्ठा है, क्या दर्जा है, कितनी महत्ता है, पता चल जायेगा

कौन किसी की सुनता है

कोई किसी का कहा नहीं मानता, सब अपनी मर्ज़ी के मालिक हैं, कोई किसी की दाद फ़र्याद नहीं सुनता

कौन किस की सुनता है

۔کوئی کسی کی فریاد نہیں سنتا۔ ؎

कौन खेत की मूली है

रुक : किस खेत की मूली हो, निहायत बेहक़ीक़त हो, बेवक़ार और बेहैसियत हो

बिल्ली की म्याउं को कौन सुनता है

बड़े की अपेक्षा छोटे का सम्मान कौन करता है

पराई सार में कौन धुआँ करता है

कोई दूसरे की मदद नहीं करता

मुर्ग़ी की बाँग कौन सुनता है

'औरत की बात का क्या भरोसा, 'औरत की डींग का क्या भरोसा

होनी कौन टाल सकता है

भाग्य के लिखे को कोई नहीं बदल सकता, जो होना है सो होता है

कौन से क़ुरआन में लिखा है

۔کس قاعدہ سے جائز ہے۔ (بنات النعش) دکھا تو کون سے قرآن میں لکھا ہے کہ بچّہ پیٹ یں ہو اور بچّے والی چلے پھرے اور کام کرے۔

कौन सी हदीस में आया है

किसी नियम व कानून द्वारा स्वीकार्य है अर्थात यह बात सही नहीं

कौन सी कसर बाक़ी रखी है

क्या कुछ नहीं क्या, सब कुछ कर डाला, छोड़ा किया

चलती में कौन कसर करता है

जब दाँव चले, कौन फ़ायदा नहीं उठाता

कौन पराई आग में गिरता है

कोई किसी के कारणवश संकट मोल नहीं लेता

माँ से ले कर कौन आया है

सब सिखाए ही सीखते हैं

कौन कहता है

۔कोई नहीं कहता। में नहीं कहता।

कौन होता है

क्या ताल्लुक़ है, क्या रिश्ता है, क्या वास्ता है, संबंध क्या है

ख़ुदा देता है तो नहीं पूछ्ता तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

कौन बात है

अजीब-ओ-ग़रीब काम है, कैसा या कितना

कौन से मर्ज़ की दवा है

۔کس کام کا ہے۔ اِس سے کیا فائدہ ہے۔ محض نکمسا ہے۔ ؎ ؎ مخاطب سے کس مرض کی دوا ہو۔ کون سے مرض کی دوا ہو کہتے ہیں۔

आप का बायाँ क़दम कौन सा है

आप बड़े चालाक हैं

पराई सार कौन धुवाँ करता है

कोई भी दूसरे की मदद नहीं करता

कौन किसी के साथ मरता है

कोई किसी का साथ नहीं देता, मरने वाले से लाख मुहब्बत हो कोई उस के साथ नहीं जा सकता, कोई किसी के साथ नहीं मरता, सब मजबूर हैं

साथ कौन किसी के जाता है

मरने के वक़्त कोई साथ नहीं देता

मुर्ग़ की बाँग को कौन सुनता है

कम दर्जे के आदमी की तरफ़ कौन तवज्जा करता है

शुतुर की कौन सी कल सीधी है

हर बात बेढंगी है, हर काम में ख़ामी है (मशहूर कहावत यूं है: ऊंट रे ऊंट तेरी कौनसी कल सीधी)

बुरे वक़्त का कौन है जुज़ ख़ुदा

दुख के समय कोई साथ नहीं देता, केवल ईश्वर ही सहायता करता है

कौन से क़ुरआन में लिक्खा है

किस नियम और क़ानून से उचित है अर्थात् यह सही नहीं है

पराई सराए में कौन धुआँ करता है

कोई दूसरे की मदद नहीं करता

कौन सी बात उठा रक्खी है

क्या कमी छोड़ी है, कौन सी कसर बाक़ी रखी है, क्या नहीं किया

मुर्ग़े की बाँग को कौन सहीह रखता है

बकवासी की डींग का क्या एतबार या औरत की बात काबिल एव एतिमाद नहीं

कौन सी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

कोई ऐब से ख़ाली नहीं, कोई ना कोई इल्लत हर एक के साथ लगी होती है, हर शख़्स में कोई ना कोई ख़ामी ज़रूर होती है

कौन ऐसी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

कौन ऐसी किशमिश है जिस में लकड़ी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

मुर्ग़ी की बाँग को कौन सहीह कहता है

स्त्री की बात का कोई भरोसा नहीं

कौन सा दरख़्त है जिसे हवा नहीं लगी

ऐब और तकलीफ़ से कोई ख़ाली नहीं

कौन सा दरख़्त है जिसे हवा नहीं लगती

ऐब और तकलीफ़ से कोई ख़ाली नहीं

मछली के पूत को कौन तैरना सिखाता है

अपने पुश्तैनी या ख़ानदानी काम से हर व्यक्ति स्वयं अच्छी तरह परिचित होता है, उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं

कौन सी चक्की का पीसा खाया है

किसी चक्की का खाया है, उमूमन मोटे आदमी की निसबत कहते हैं

कौन सी चक्की का पिसा खाया है

किसी चक्की का खाया है, प्राय: मोटे आदमी के संबंध में कहते हैं

अपना हारा और मेहरी का मारा कौन कहता है

जुवारी अपना नुक़्सान और जोरू से मार खाने वाला अपना अपमान बयान नहीं करता, हर व्यक्ति अपने अपमान और ज़िल्लत पर पर्दा डालता है

वो कौन सी किश्मिश है जिस में तिनका नहीं

हर चीज़ में कोई न कोई त्रुटि होती है, कोई चीज़ त्रुटि से ख़ाली नहीं

कौन सा दरख़्त है जिस को हवा नहीं लगी

ऐब और तकलीफ़ से कोई ख़ाली नहीं

कौन सा दरख़्त है जिस को हवा नहीं लगती

ऐब और तकलीफ़ से कोई ख़ाली नहीं

कौन सा घर है जिस में मौत नहीं आई

मुसीबत और तकलीफ़ से कोई जगह ख़ाली नहीं

मछली के जाए को कौन तैरना सिखाता है

अपने पुश्तैनी या ख़ानदानी काम से हर व्यक्ति स्वयं अच्छी तरह परिचित होता है, उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं

जब ख़ुदा देने पर आता है तो ये नहीं पूछता कि तू कौन है

ईश्वर की कृपा नीच और उच्च पर समान होती है

जब ख़ुदा देने पर आता है तो यह नहीं पूछ्ता कि तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

ख़ाली बोरी और शराबी को कौन खड़ा रख सकता है

बगै़र सहारे या क़ुव्वत के कोई ज़ोर नहीं चलता

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