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सर-ए-कोह

पहाड़ की चोटी

आफ़ताब सर-ए-कोह

the setting sun

बर-सर-ए-कोह

पहाड़ की चोटी पर

सर-ए-तेग़-ए-कोह

The peak, summit of a mountain.

सर कहाँ फोड़ूँ

किस जगह तलाश या खोज करूँ, किस से आग्रह करूँ, किस से फ़रियाद करूँ

कहां सर फोड़ूँ

(बेबसी ज़ाहिर करने के लिए) कहाँ जाऊं, क्या करूं, किधर जाऊं, कुछ तदबीर बिन नहीं आती

डरें लोमड़ी से नाम शेर ख़ाँ

किसी शख़्स की बुज़दली ज़ाहिर करने के लिए मुस्तामल

भेजा खाएँ सर सहलाएँ

inflict harm by flattering

सर सहलाऊँ भेजा खाऊँ

दोस्त बिन कर नुक़सान पहुंचाने वाले की निस्बत कहते हैं

मौज ख़ूँ सर से गुज़रना

रुक : मौज इख़ोन बन कर गुज़रना

सदा-ए-कोह

echo from the mountain

सर खाएँ

दफ़ान हो, ऐसी तैसी में जा, प्रिय सरको, जहन्नुम में जाओ

आँखों-आँखों में सहर होना

आँखोंआँखों में रात कटना, सारी रात जागे गुज़रना, रात जागते गुज़रना

झूटे घर को घर कहें और साँचे घर को गोर , हम चलें घर आपने और लोग मचावें शोर

असल घर तो क़ब्र है, आदमी मर जाता है तो लोग ख़्वाहमख़्वाह शोर मचाते हैं उस वक़्त तो इंसान अपने असली घर को जाता है

कोह-ए-स'ईर

ज्वालामुखी, ऐसा पहाड़ जिससे आग निकलती हो

सर को बता कर कहीं और मारना

सर की तरफ़ इशारा करके किसी दूसरी जगह लगाना, पट्टे बाज़ों की परिभाषा है

कोह-ए-सुरीं

पहाड़ जैसे पुट्ठों वाला (घोड़े की प्रशंसा)

सर-आँखों पर बिठाना

स्नेहपूर्ण स्वागत करना, आदर से पेश आना, बड़ा मान-सम्मान करना, बहुत सेवा-सत्कार और आव-भगत से पेश आना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कोह-ए-सुरीं के अर्थदेखिए

कोह-ए-सुरीं

koh-e-surii.nکوہِ سُرِیں

कोह-ए-सुरीं के हिंदी अर्थ

  • पहाड़ जैसे पुट्ठों वाला (घोड़े की प्रशंसा)

کوہِ سُرِیں کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • پہاڑ جیسے پٹّھوں والا (گھوڑے کی تعریف)

Urdu meaning of koh-e-surii.n

  • Roman
  • Urdu

  • pahaa.D jaise paThThাo.n vaala (gho.De kii taariif

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सर-ए-कोह

पहाड़ की चोटी

आफ़ताब सर-ए-कोह

the setting sun

बर-सर-ए-कोह

पहाड़ की चोटी पर

सर-ए-तेग़-ए-कोह

The peak, summit of a mountain.

सर कहाँ फोड़ूँ

किस जगह तलाश या खोज करूँ, किस से आग्रह करूँ, किस से फ़रियाद करूँ

कहां सर फोड़ूँ

(बेबसी ज़ाहिर करने के लिए) कहाँ जाऊं, क्या करूं, किधर जाऊं, कुछ तदबीर बिन नहीं आती

डरें लोमड़ी से नाम शेर ख़ाँ

किसी शख़्स की बुज़दली ज़ाहिर करने के लिए मुस्तामल

भेजा खाएँ सर सहलाएँ

inflict harm by flattering

सर सहलाऊँ भेजा खाऊँ

दोस्त बिन कर नुक़सान पहुंचाने वाले की निस्बत कहते हैं

मौज ख़ूँ सर से गुज़रना

रुक : मौज इख़ोन बन कर गुज़रना

सदा-ए-कोह

echo from the mountain

सर खाएँ

दफ़ान हो, ऐसी तैसी में जा, प्रिय सरको, जहन्नुम में जाओ

आँखों-आँखों में सहर होना

आँखोंआँखों में रात कटना, सारी रात जागे गुज़रना, रात जागते गुज़रना

झूटे घर को घर कहें और साँचे घर को गोर , हम चलें घर आपने और लोग मचावें शोर

असल घर तो क़ब्र है, आदमी मर जाता है तो लोग ख़्वाहमख़्वाह शोर मचाते हैं उस वक़्त तो इंसान अपने असली घर को जाता है

कोह-ए-स'ईर

ज्वालामुखी, ऐसा पहाड़ जिससे आग निकलती हो

सर को बता कर कहीं और मारना

सर की तरफ़ इशारा करके किसी दूसरी जगह लगाना, पट्टे बाज़ों की परिभाषा है

कोह-ए-सुरीं

पहाड़ जैसे पुट्ठों वाला (घोड़े की प्रशंसा)

सर-आँखों पर बिठाना

स्नेहपूर्ण स्वागत करना, आदर से पेश आना, बड़ा मान-सम्मान करना, बहुत सेवा-सत्कार और आव-भगत से पेश आना

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