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किसे

कोई व्यक्ति या किसी चीज़ को, किसको

कसे

tight

कसे-बाशद

कोई आदमी हो, कोई हो, कोई क्यों न हो, चाहे कोई हो

किसे कहते हैं

क्या वक़ात रखता है, बेवुक़त है, क्या चीज़ है (बतौर इस्तिफ़हाम-ए-इन्कारी मुस्तामल

किसे पड़ी है

none is concerned with, none is desirous of, nobody cares

किसे दिमाग़ है

nobody can bear it

किसे-दिमाग़

किसके पास इतना धैर्य है

हर-कसे

رک : ہر کس ۔

कमर कसे होना

जंग के लिए ती्यार रहना

हर कसे कि बाशद

कोई शख़्स क्यों ना हो

हमसाया बद मबाद कसे रा

(फ़ारसी कहावत) ख़ुदा करे किसी का हमसाया बुरा ना हो

हर कसे रा बहर कारे साख़तंद

(फ़ारसी मिसरा बतौर कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर एक ख़ास काम के लिए मौज़ूं है, हर शख़्स को किसी काम के लिए बनाया गया है और इस काम का इशक़ इस के दिल में डाल दिया है

सब कसे

پر ایک کو ، سب کو.

कार दुनिया कसे तमाम नकर्द

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) दुनिया का काम किसी ने ख़त्म नहीं क्या, हर काम में इख़तिसार पर नज़र रखू, ज़्यादा हवस ना करो

'ऐब-ए-ख़ुद हर कसे नमी बीनद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) अपना दोष किसी को मालूम नहीं होता

हर कसे मस्लहत-ए-ख़्वेश नको मी दानद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) अपनी मस्लिहत हर शख़्स ख़ूब जानता है

हर-कसे पंज-रोज़ नौबत-ए-ऊस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) हर किसी की बारी पाँच रोज़ की है अर्थात जीवन क्षणिक है स्थायी नहीं है

आदमी जाने बसे सोना जाने कसे

आदमी की अच्छाई बुराई उस को परखने से मालूम होती है जिस तरह सोने का खरा-खोटा आग पर तपने से मालूम होता है

सोना जाने कसे आदमी जाने बसे

man is known by association and gold is known by touchstone, fact is known only after first-hand experience

हर रोज़ 'ईद नीस्त कि हल्वा ख़ूरद कसे

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर रोज़ ईद नहीं है कि कोई हलवा खाए , रोज़ रोज़ उम्दा मौक़ा हाथ नहीं आता , हर रोज़ ख़ुशी हासिल नहीं होती, ज़माना एक सा नहीं रहता, (बिलउमूम ऐसे मौके़ पर मुस्तामल जब कोई एक बार कुछ पाने के बाद फिर फ़ायदे की उम्मीद रखे)

सोना जाने कसे और आदमी जाने बसे

सोने की पहचान कसौटी पर परखने से और आदमी की पहचान पास रहने से होती है, सत्य तो अनुभव से ही जाना जाता है, खोटे खरे का परखने से पता चलता है

न दीद नक़्द बा नसबा कसे

कोई नक़द के बदले उधार नहीं देता

गाना रोना, किसे नहीं आता

ऐसी बातें सब जानते हैं, दुख और सुख से सब प्रभावित होते हैं

क़द्र-ए-'आफ़ियत कसे दानद कि मुसीबते गिरफ़्तार आयद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) अच्छाई की क़दर वो जानता है जो किसी मुसीबत में गिरफ़्तार होचुका हो

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में किसे के अर्थदेखिए

किसे

kiseکِسے

वज़्न : 12

किसे के हिंदी अर्थ

सर्वनाम

  • कोई व्यक्ति या किसी चीज़ को, किसको

विशेषण

शे'र

English meaning of kise

Pronoun

کِسے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

ضمیر

  • کسی شخص یا کسی چیز کو، کس کو

صفت

  • کوئی، کوئی ایک، کوئی شخص، کوئی بھی

Urdu meaning of kise

  • Roman
  • Urdu

  • kisii shaKhs ya kisii chiiz ko, kis ko
  • ko.ii, ko.ii ek, ko.ii shaKhs, ko.ii bhii

किसे के यौगिक शब्द

खोजे गए शब्द से संबंधित

किसे

कोई व्यक्ति या किसी चीज़ को, किसको

कसे

tight

कसे-बाशद

कोई आदमी हो, कोई हो, कोई क्यों न हो, चाहे कोई हो

किसे कहते हैं

क्या वक़ात रखता है, बेवुक़त है, क्या चीज़ है (बतौर इस्तिफ़हाम-ए-इन्कारी मुस्तामल

किसे पड़ी है

none is concerned with, none is desirous of, nobody cares

किसे दिमाग़ है

nobody can bear it

किसे-दिमाग़

किसके पास इतना धैर्य है

हर-कसे

رک : ہر کس ۔

कमर कसे होना

जंग के लिए ती्यार रहना

हर कसे कि बाशद

कोई शख़्स क्यों ना हो

हमसाया बद मबाद कसे रा

(फ़ारसी कहावत) ख़ुदा करे किसी का हमसाया बुरा ना हो

हर कसे रा बहर कारे साख़तंद

(फ़ारसी मिसरा बतौर कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर एक ख़ास काम के लिए मौज़ूं है, हर शख़्स को किसी काम के लिए बनाया गया है और इस काम का इशक़ इस के दिल में डाल दिया है

सब कसे

پر ایک کو ، سب کو.

कार दुनिया कसे तमाम नकर्द

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) दुनिया का काम किसी ने ख़त्म नहीं क्या, हर काम में इख़तिसार पर नज़र रखू, ज़्यादा हवस ना करो

'ऐब-ए-ख़ुद हर कसे नमी बीनद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) अपना दोष किसी को मालूम नहीं होता

हर कसे मस्लहत-ए-ख़्वेश नको मी दानद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) अपनी मस्लिहत हर शख़्स ख़ूब जानता है

हर-कसे पंज-रोज़ नौबत-ए-ऊस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) हर किसी की बारी पाँच रोज़ की है अर्थात जीवन क्षणिक है स्थायी नहीं है

आदमी जाने बसे सोना जाने कसे

आदमी की अच्छाई बुराई उस को परखने से मालूम होती है जिस तरह सोने का खरा-खोटा आग पर तपने से मालूम होता है

सोना जाने कसे आदमी जाने बसे

man is known by association and gold is known by touchstone, fact is known only after first-hand experience

हर रोज़ 'ईद नीस्त कि हल्वा ख़ूरद कसे

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर रोज़ ईद नहीं है कि कोई हलवा खाए , रोज़ रोज़ उम्दा मौक़ा हाथ नहीं आता , हर रोज़ ख़ुशी हासिल नहीं होती, ज़माना एक सा नहीं रहता, (बिलउमूम ऐसे मौके़ पर मुस्तामल जब कोई एक बार कुछ पाने के बाद फिर फ़ायदे की उम्मीद रखे)

सोना जाने कसे और आदमी जाने बसे

सोने की पहचान कसौटी पर परखने से और आदमी की पहचान पास रहने से होती है, सत्य तो अनुभव से ही जाना जाता है, खोटे खरे का परखने से पता चलता है

न दीद नक़्द बा नसबा कसे

कोई नक़द के बदले उधार नहीं देता

गाना रोना, किसे नहीं आता

ऐसी बातें सब जानते हैं, दुख और सुख से सब प्रभावित होते हैं

क़द्र-ए-'आफ़ियत कसे दानद कि मुसीबते गिरफ़्तार आयद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) अच्छाई की क़दर वो जानता है जो किसी मुसीबत में गिरफ़्तार होचुका हो

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