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नौ-'उम्र

अल्पवयस्क, कमसिन, लड़का, बालक, कम उमर

नौ-'उम्री

बाल्यावस्था, अल्प- वयस्कता, कमसिनी, नौजवानी, नाबालिग़ी

नौ-'उम्रा

رک : نو عمر ، نوجوان

मुजरिम-ए-नौ-'उम्र

किशोर अपराधी

नूह की 'उम्र

very long life

भीड़ न ठट्ठा मार नुहटा

ना मजमा, ना मौक़ा, बेमहल बात करने के मौक़ा पर बोलते हैं, ख़्वाहमख़्वाह लड़ने वाली औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

क़ाज़ी की लौंडी मरी, सारा शहर आया, क़ाज़ी मरा, कोई न आया

बड़े एवं अमीर आदमी के जीवन काल में लोग ख़ुशामद अर्थात चापलूसी करते हैं परंतु उसके मरने के बा'द कोई उसका नाम तक नहीं लेता

पठानों ने गाँव मारा, जुलाहों की चढ़ बनी

विजयी के पास अधिकतर कमीने ही आते हैं

रत्ती भर धन साथ न जावे, जब तू मर कर जीव गँवावे

मृत्यु के समय ज़रा सा धन भी साथ नहीं जाता इस लिए धन-दौलत पर भरोसा और मान नहीं करना चाहिए

जाको राखे साइयाँ, मार सके न कोय

ईश्वर जिसका रक्षक है, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता

शैतान ने कान में फूँक मार दी है

शैतान ने घमंडी बना दिया है

फ़ातिहा न दुरूद मर गए मर्दूद

ऐसे निःसंतान की मृत्यु पर बोला जाता है जो दुष्ट एवं दुर्व्यवहारी भी हो

मरते मर गए, चोंचलों से न गए

बेइज़्ज़त होकर भी ग़रूर ना गया

दिया तो चाँद था, न दिया तो माँद था

दान-पुण्य ही से नाम होता है वर्ना कोई वर्णन या बखान नहीं करता

चिट्ठी न परवाना मार खाएँ मुल्क बेगाना

हुकूमत की बदइंतिज़ामी और हाकिम की ग़फ़लत से बदमाश ख़्वाहमख़्वाह लागों को लौटते फिरते हैं

जिसको राखे साइयाँ मार न साके कोय, बाल न बेका कर सके सब जग बैरी होय

ख़ुदा की रक्षा सर्वोपर है

नए मोड़ से गुज़रना

रख बदलना, तबदीली इख़तियार करना

मौत दीजो पर मोर न दीजो

बाज़ार के सस्ता होने से मृत्यु अच्छी है

आज न मुवाकिल मर जाऊँगा

بہت پریشانی اور مصیبت کی حالت میں کہا جاتا ہے

माया मरी न मन मरे मर मर गए सरीर, आसा तिरिश्ना न मरे कह गए दास कबीर

ना तो क़ुदरत मरती है ना दिल ना ख़ाहिश ना उम््ीद, बदन मर जाता है उम्मीदवार प्यासा रह जाता है

मुड़ के न देखना

मुँह मोड़ कर ना देखना, दुबारा ना देखना , तवज्जा ना करना, रुख़ ना करना , बात ना पूछना, ख़ातिर में ना लाना

मुड़ कर न देखना

मुंह मोड़ कर न देखना, दोबारा न देखना, रुख न करना, बात न पूछना, प्रतीकात्मक: ध्यान न देना

नए मोड़ पर आना

बदलाव आना, परिस्तिथियाँ बदलना

मुड़ के करवट न लेना

۔(عو) کچھ خبر نہ لینا کی جگہ۔؎

मुड़ कर करवट न लेना

(ओ) कुछ ख़बर ना लेना, बिलकुल तवज्जा ना करना

चलता-फिरता न मरे बैठा मर जाए

काहिल आदमी जल्दी मरता है, चलने फिरने वाला जल्द नहीं मरता, बहुत एहतियात करने वाला कभी कभी मर जाता है और एहतियात न करने वाला ज़िंदा रहता है

का टापू में मोर नाचा किस ने देखा

विदेश में कुछ भी करो जब अपने देश में कुछ करो तो हम समझें कि हाँ कुछ किया, परदेस में किसी बड़े काम के करने का आनंद परिवार या देश के लोग वाले नहीं उठा सकते, जब कोई व्यक्ति अपना धन किसी ऐसी जगह ख़र्च करे जहाँ जहाँ देश के नागरिक या रिश्तेदार उसे न देख सकें तो क

चिट्ठी न परवाना मार खाएँ मुल्क बिराना

हुकूमत की बदइंतिज़ामी और हाकिम की ग़फ़लत से बदमाश ख़्वाहमख़्वाह लागों को लौटते फिरते हैं

जबरा मारे, रोने ना दे

शक्तिशाली मारता है तो शिकवा भी नहीं करने देता

जंगल में मोर नाचा किस ने देखा

परदेस में कोई बड़े काम करने का आनंद घर वाले नहीं देख सकते, जब कोई अपना धन परदेस में व्यय करे और अपने लोग उससे लाभांवित न हों तो यह बोलते हैं

मुझ को कोई न मारे तो सारे जहाँ को मार आऊँ

कायर व्यक्ति ख़तरे से डरता है

मर गया मर्दूद जिस का फ़ातिहा न दुरूद

निकम्मे व्यक्ति के बारे में उपयोगित, बदमाश और बुरे आदमी को कोई शुभ नाम से याद नहीं करता

होना न होना ख़ुदा के हाथ में, मार मार तो किए जाओ

अपनी तरफ़ से कोशिश होनी चाहिए परिणाम ईश्वर पर छोड़ना चाहिए

मा'ना मार लेना

मतलब निकालना, मअनी समझना, मतलब अख़ज़ करना

मर मर न जाते तो भर घर होते

मृत्यु ने ख़ानदान को बर्बाद कर दिया वर्ना घर भरा होता

कोई मुझ को न मारे तो मैं सारे जहान को मारूँ

कायर या भीरु अथवा झगड़ालू व्यक्ति के लिए व्यंगात्मक तौर पर कहते हैं

होते ही क्यों न मर गया

बुरे आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं कि पैदा होते ही मिर्जाता तो अच्छा था

मर गए मर्दूद जिन की फ़ातिहा न दुरूद

बद-म'आश और बुरे व्यक्ति को कोई शुभ नाम से याद नहीं करता

गूलर का फूल, पीपल का मद, घोड़ी की जुगाली, कभी न पावे और पावे तो रैन दिवाली

ये बातें ना मुम्किन हैं

ता'मीर-ए-नौ

नए सिरे से बनाना, दुबारा बनाना

भूत जान न मारे, सता मारे

भूत कुछ नहीं करता परंतु उस का भय दिल को दहलाता है

आन से मारे तान से मारे, उस पर भी न मरे तो रान से मारे

عورتیں اشارے یا باتوں سے پھنسا لیتی ہیں، اگر اس پر بھی قابو میں نہ آئے تو تعلق نا جائز پیدا کرکے پھنسا لیتی ہیں

गंजे को ख़ुदा नाख़ुन न दे जो खुजाते खुजाते मर जाए

ख़ुदा ज़ुलम को साहब-ए-इख़तियार और कमीने को साहब-ए-स्रोत ना करे (वर्ना वो ग़रीबों को बहुत सताएगा

हर एक के कान में शैतान ने फूँक मार दी है कि तेरे बराबर कोई नहीं

हर एक अपने आप को लासानी समझता है

धन जोड़न के ध्यान में यूँही 'उम्र न खो, मोती बर्गे मोल के कभी न ठीकर हो

धन जमा करने के चक्कर में आयु नहीं बितानी चाहिए, ठीकरी मोती के समान नहीं हो सकती

आन से मारूँ , तान से मारूँ , फिर न मरे तो रान से मारूँ

बाज़ारी औरतें किसी ना किसी प्रकार मर्दों को जाल में फंसा कर के लूट ही लेती हैं, किसी ना किसी ढब से अपना काम निकालने और स्वार्थ पूरा करने के अवसर पर प्रयुक्त

त्रिया चरित्र न जाने कोय, ख़सम मार के सती होय

स्त्री के धोखे और मक्कारी को कोई नहीं समझ सकता, पति की हत्या करके ख़ुद भी सती हो जाती है

झूटे मर गए तुम्हें तप भी न आई

झूटे को तंज़न कहते हैं

हज़ार जूतियाँ मारूँ और एक न गिनूँ

किसी से इज़हार-ए-नाराज़गी के मौके़ पर कहते हैं यानी जितना मारों इतना ही थोड़ा है

न बोली न बोली , बोली तो एक पत्थर खींच मार

(बदमिज़ाज औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं) अव्वल तो बोलती नहीं अगर बोलती है तो बदकलामी करती है

ठोंगें मार किया सर गंजा, कहे मेरे है हाथ न पंजा

अर्थात हानि तो पहुँचा दिया और बेकार में बहाने बनाता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जवान जाए पताल, बुढ़िया माँगे भतार के अर्थदेखिए

जवान जाए पताल, बुढ़िया माँगे भतार

javaan jaa.e pataal, bu.Dhiyaa maa.nge bhataarجَوان جائے پتال، بُڑھیا مانگے بَھتار

कहावत

जवान जाए पताल, बुढ़िया माँगे भतार के हिंदी अर्थ

  • उल्टा समय है युवती मरती हैं बूढ़ियाँ पति मांगती हैं
  • असंगत बात पर कहते हैं

جَوان جائے پتال، بُڑھیا مانگے بَھتار کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • الٹا زمانہ ہے جوان مرتی ہیں بڑھیاں خاوند مانگتی ہیں
  • بے میل بات پر کہتے ہیں

Urdu meaning of javaan jaa.e pataal, bu.Dhiyaa maa.nge bhataar

  • Roman
  • Urdu

  • ulTaa zamaana hai javaan martii hai.n bu.Dhiyaa.n Khaavand maangtii hai.n
  • bemel baat par kahte hai.n

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नौ-'उम्र

अल्पवयस्क, कमसिन, लड़का, बालक, कम उमर

नौ-'उम्री

बाल्यावस्था, अल्प- वयस्कता, कमसिनी, नौजवानी, नाबालिग़ी

नौ-'उम्रा

رک : نو عمر ، نوجوان

मुजरिम-ए-नौ-'उम्र

किशोर अपराधी

नूह की 'उम्र

very long life

भीड़ न ठट्ठा मार नुहटा

ना मजमा, ना मौक़ा, बेमहल बात करने के मौक़ा पर बोलते हैं, ख़्वाहमख़्वाह लड़ने वाली औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

क़ाज़ी की लौंडी मरी, सारा शहर आया, क़ाज़ी मरा, कोई न आया

बड़े एवं अमीर आदमी के जीवन काल में लोग ख़ुशामद अर्थात चापलूसी करते हैं परंतु उसके मरने के बा'द कोई उसका नाम तक नहीं लेता

पठानों ने गाँव मारा, जुलाहों की चढ़ बनी

विजयी के पास अधिकतर कमीने ही आते हैं

रत्ती भर धन साथ न जावे, जब तू मर कर जीव गँवावे

मृत्यु के समय ज़रा सा धन भी साथ नहीं जाता इस लिए धन-दौलत पर भरोसा और मान नहीं करना चाहिए

जाको राखे साइयाँ, मार सके न कोय

ईश्वर जिसका रक्षक है, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता

शैतान ने कान में फूँक मार दी है

शैतान ने घमंडी बना दिया है

फ़ातिहा न दुरूद मर गए मर्दूद

ऐसे निःसंतान की मृत्यु पर बोला जाता है जो दुष्ट एवं दुर्व्यवहारी भी हो

मरते मर गए, चोंचलों से न गए

बेइज़्ज़त होकर भी ग़रूर ना गया

दिया तो चाँद था, न दिया तो माँद था

दान-पुण्य ही से नाम होता है वर्ना कोई वर्णन या बखान नहीं करता

चिट्ठी न परवाना मार खाएँ मुल्क बेगाना

हुकूमत की बदइंतिज़ामी और हाकिम की ग़फ़लत से बदमाश ख़्वाहमख़्वाह लागों को लौटते फिरते हैं

जिसको राखे साइयाँ मार न साके कोय, बाल न बेका कर सके सब जग बैरी होय

ख़ुदा की रक्षा सर्वोपर है

नए मोड़ से गुज़रना

रख बदलना, तबदीली इख़तियार करना

मौत दीजो पर मोर न दीजो

बाज़ार के सस्ता होने से मृत्यु अच्छी है

आज न मुवाकिल मर जाऊँगा

بہت پریشانی اور مصیبت کی حالت میں کہا جاتا ہے

माया मरी न मन मरे मर मर गए सरीर, आसा तिरिश्ना न मरे कह गए दास कबीर

ना तो क़ुदरत मरती है ना दिल ना ख़ाहिश ना उम््ीद, बदन मर जाता है उम्मीदवार प्यासा रह जाता है

मुड़ के न देखना

मुँह मोड़ कर ना देखना, दुबारा ना देखना , तवज्जा ना करना, रुख़ ना करना , बात ना पूछना, ख़ातिर में ना लाना

मुड़ कर न देखना

मुंह मोड़ कर न देखना, दोबारा न देखना, रुख न करना, बात न पूछना, प्रतीकात्मक: ध्यान न देना

नए मोड़ पर आना

बदलाव आना, परिस्तिथियाँ बदलना

मुड़ के करवट न लेना

۔(عو) کچھ خبر نہ لینا کی جگہ۔؎

मुड़ कर करवट न लेना

(ओ) कुछ ख़बर ना लेना, बिलकुल तवज्जा ना करना

चलता-फिरता न मरे बैठा मर जाए

काहिल आदमी जल्दी मरता है, चलने फिरने वाला जल्द नहीं मरता, बहुत एहतियात करने वाला कभी कभी मर जाता है और एहतियात न करने वाला ज़िंदा रहता है

का टापू में मोर नाचा किस ने देखा

विदेश में कुछ भी करो जब अपने देश में कुछ करो तो हम समझें कि हाँ कुछ किया, परदेस में किसी बड़े काम के करने का आनंद परिवार या देश के लोग वाले नहीं उठा सकते, जब कोई व्यक्ति अपना धन किसी ऐसी जगह ख़र्च करे जहाँ जहाँ देश के नागरिक या रिश्तेदार उसे न देख सकें तो क

चिट्ठी न परवाना मार खाएँ मुल्क बिराना

हुकूमत की बदइंतिज़ामी और हाकिम की ग़फ़लत से बदमाश ख़्वाहमख़्वाह लागों को लौटते फिरते हैं

जबरा मारे, रोने ना दे

शक्तिशाली मारता है तो शिकवा भी नहीं करने देता

जंगल में मोर नाचा किस ने देखा

परदेस में कोई बड़े काम करने का आनंद घर वाले नहीं देख सकते, जब कोई अपना धन परदेस में व्यय करे और अपने लोग उससे लाभांवित न हों तो यह बोलते हैं

मुझ को कोई न मारे तो सारे जहाँ को मार आऊँ

कायर व्यक्ति ख़तरे से डरता है

मर गया मर्दूद जिस का फ़ातिहा न दुरूद

निकम्मे व्यक्ति के बारे में उपयोगित, बदमाश और बुरे आदमी को कोई शुभ नाम से याद नहीं करता

होना न होना ख़ुदा के हाथ में, मार मार तो किए जाओ

अपनी तरफ़ से कोशिश होनी चाहिए परिणाम ईश्वर पर छोड़ना चाहिए

मा'ना मार लेना

मतलब निकालना, मअनी समझना, मतलब अख़ज़ करना

मर मर न जाते तो भर घर होते

मृत्यु ने ख़ानदान को बर्बाद कर दिया वर्ना घर भरा होता

कोई मुझ को न मारे तो मैं सारे जहान को मारूँ

कायर या भीरु अथवा झगड़ालू व्यक्ति के लिए व्यंगात्मक तौर पर कहते हैं

होते ही क्यों न मर गया

बुरे आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं कि पैदा होते ही मिर्जाता तो अच्छा था

मर गए मर्दूद जिन की फ़ातिहा न दुरूद

बद-म'आश और बुरे व्यक्ति को कोई शुभ नाम से याद नहीं करता

गूलर का फूल, पीपल का मद, घोड़ी की जुगाली, कभी न पावे और पावे तो रैन दिवाली

ये बातें ना मुम्किन हैं

ता'मीर-ए-नौ

नए सिरे से बनाना, दुबारा बनाना

भूत जान न मारे, सता मारे

भूत कुछ नहीं करता परंतु उस का भय दिल को दहलाता है

आन से मारे तान से मारे, उस पर भी न मरे तो रान से मारे

عورتیں اشارے یا باتوں سے پھنسا لیتی ہیں، اگر اس پر بھی قابو میں نہ آئے تو تعلق نا جائز پیدا کرکے پھنسا لیتی ہیں

गंजे को ख़ुदा नाख़ुन न दे जो खुजाते खुजाते मर जाए

ख़ुदा ज़ुलम को साहब-ए-इख़तियार और कमीने को साहब-ए-स्रोत ना करे (वर्ना वो ग़रीबों को बहुत सताएगा

हर एक के कान में शैतान ने फूँक मार दी है कि तेरे बराबर कोई नहीं

हर एक अपने आप को लासानी समझता है

धन जोड़न के ध्यान में यूँही 'उम्र न खो, मोती बर्गे मोल के कभी न ठीकर हो

धन जमा करने के चक्कर में आयु नहीं बितानी चाहिए, ठीकरी मोती के समान नहीं हो सकती

आन से मारूँ , तान से मारूँ , फिर न मरे तो रान से मारूँ

बाज़ारी औरतें किसी ना किसी प्रकार मर्दों को जाल में फंसा कर के लूट ही लेती हैं, किसी ना किसी ढब से अपना काम निकालने और स्वार्थ पूरा करने के अवसर पर प्रयुक्त

त्रिया चरित्र न जाने कोय, ख़सम मार के सती होय

स्त्री के धोखे और मक्कारी को कोई नहीं समझ सकता, पति की हत्या करके ख़ुद भी सती हो जाती है

झूटे मर गए तुम्हें तप भी न आई

झूटे को तंज़न कहते हैं

हज़ार जूतियाँ मारूँ और एक न गिनूँ

किसी से इज़हार-ए-नाराज़गी के मौके़ पर कहते हैं यानी जितना मारों इतना ही थोड़ा है

न बोली न बोली , बोली तो एक पत्थर खींच मार

(बदमिज़ाज औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं) अव्वल तो बोलती नहीं अगर बोलती है तो बदकलामी करती है

ठोंगें मार किया सर गंजा, कहे मेरे है हाथ न पंजा

अर्थात हानि तो पहुँचा दिया और बेकार में बहाने बनाता है

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