खोजे गए परिणाम

सहेजे गए शब्द

"दिल्ली से मैं आऊँ ख़बर कहे मेरा भाई, घर से आए कोई संदेसा दे कोई" शब्द से संबंधित परिणाम

मुज्मल की रू से

संक्षेप में, संक्षिप्त रूप में, मुख़्तसर तौर पर, थोड़े शब्दों में

इस की रू से

according to

हिसाब की रू से

as per calculation or accounts

दो आदमियों की गवाही से फाँसी होती है

दो लोगों की बात का बड़ा प्रभाव होता है, दो लोगों की राय महत्वपूर्ण होती है

झूटे की कुछ पत नहीं सजन झूट न बोल, लख-पति का झूट से दो कौड़ी का हो मोल

झूठे का कोई सम्मान नहीं होता

झूटे की कुछ पत नहीं सजन झूट न बोल, लख-पति का झूट से दो कौड़ी हो मोल

झूठे का कोई सम्मान नहीं होता

शाह ख़ानम की आँखें दुखती हैं, शहर के चराग़ दीए गुल कर दो

ऐसी नाज़ुक मिज़ाज और मुतकब्बिर हैं कि अपनी तकलीफ़ के साथ औरों को भी तकलीफ़ देने से परहेज़ नहीं करतीं, अपनी तकलीफ़ और मुसीबत में औरों को मुबतला करना

टुकड़ा सा तोड़ के हाथ में दे देना

लगी लिपटी ना रखना, साफ़ जवाब देना, दो टोक जवाब देना, इनकार करदेना

गुड़ न दे गुड़ की सी बात तो करे

a kind word costs nothing

गुड़ न दे तो गुड़ की सी बात तो कहे

अगर किसी से अच्छा व्यव्हार न कर सके तो विनम्रता से तो बोले

कोई कौड़ी के दो बेर भी हाथ से न खाए

सख़्त ज़लील-ओ-बेवुक़त है

अपने सूई न जाने दो, दूसरे के भाले घुसेड़ दो

स्वयं थोड़ी पीड़ा भी गवारा नहीं दूसरे पर बड़ी बड़ी विपत्तियाँ ढाई जाती हैं

रज़ील की दो न अशराफ़ की सौ

कमीने की दो गालियां भी शरीफ़ की सौ गालियों से बढ़ कर होती हैं

घर से आए कोई, संदसा दे कोई

रुक : घर से आए हैं अलख

रानी को बाँदी कहा हँस दी, बाँदी से बाँदी कहा रो दी

कमीने की वास्तविक्ता स्पष्ट की जाये या किसी का वास्तविक दोष वर्णित किया जाये तो उसे अप्रिय जान पड़ता है

नाई दाई , धोबी , बेद , क़साई उन का सू तक कभी न जाई

ये चारों हमेशा से कसीफ़ तबीयत होते हैं, ये चारों हमेशा नापाक रहते हैं

हाथ से कोड़ी के दो बेर भी न खाना

बड़ी नाक़द्री करना

चंदन पड़ा चमार के नित उठ कूटे चाम, रो रो चंदन मही फिरे पड़ा नीच से काम

अच्छी चीज़ नाक़द्र शनास के हाथ लग जाये-ओ-वो क़दर नहीं करता और फ़ुज़ूल कामों में इस्तिमाल करता है

दिल्ली से मैं आऊँ ख़बर कहे मेरा भाई, घर से आए कोई संदेसा दे कोई

ये कहावत उन लोगों के प्रति बोलते हैं जिन को किसी बात का ज्ञान होना आवश्यक समझा जाता है मगर वो लापरवाही या मूर्खता के कारण इस बात से अनभिज्ञ या अज्ञानी हों

साजन हम तुम ऐक हैं देखत के हैं दो, मन से मन को तौल दो मन कदी न हो

हम तुम असल में एक हैं भले ही दो दिखाई देते हैं

राई से काई करना

रेज़ा रेज़ा या टुकड़े टुकड़े कर देना , नीस्त-ओ-नाबूद कर देना, तबाह-ओ-बर्बाद कर देना

राई से काई होना

राई से काई करना (रुक) का लाज़िम

सियार औरों को शगून दे , आप कुत्तों से डरे

गीदड़ का रास्ते में मिलना अच्छ्াा शगून समझा जाता है मगर ख़ुद कुत्तों से डरता है यानी दूओसरों को फ़ायदा पहुंचाए मगर ख़ुद को कोई फ़ायदा ना हो

बिन मतलब के सौ मतलब के दो

अपनी पसंद और ज़रूरत की थोड़ी चीज़, बगैर पसंद या ज़रूरत की ज़्यादा चीज़ से बहुत बेहतर होती है

रूई का सा गाला

अधिक चिकनी और सफ़ेद चीज़

दुधैल गाय की दो लातें भी सही जाती हैं

किसी ख़ूबी या लाभ के कारण बुराई या तकलीफ़ सहन कर ली जाती है

दुधैल गाय की दो लातें भी सही जाती हैं

जिस से नफ़ा पहुंचता है इस की नाज़ बर्दारी बुरी नीहं मालूम होती फ़ायदे के लिए तकलीफ़ उठाना बुरा नहीं लगता

एक से ले, एक को दे

ईश्वर किसी को धनी बनाता है किसी को निर्धन

बुरे का साथ दे सो भी बुरा

बुरे व्यक्ति का मित्र भी बुरा ही होता है

मन की मुर्री किस से कहूँ पेट मसोसा दे दे रहूँ

अपना दुख या भूक किस से कहूँ पेट दबा कर चुप हो रहती हूँ

दूध की सी मक्खी निकाल कर फेंक दी

किसी निकट संबंधी को अपने यहाँ से निकाल देना, अधिकारच्युत कर देना, संबंध तोड़ देना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में दिल्ली से मैं आऊँ ख़बर कहे मेरा भाई, घर से आए कोई संदेसा दे कोई के अर्थदेखिए

दिल्ली से मैं आऊँ ख़बर कहे मेरा भाई, घर से आए कोई संदेसा दे कोई

dillii se mai.n aa.uu.n KHabar kahe meraa bhaa.ii, ghar se aa.e ko.ii sandesaa de ko.iiدِلّی سے مَیں آؤُں خَبَر کَہے میرا بھائی، گَھر سے آئے کوئی سَندیسا دے کوئی

अथवा : दिल्ली से मैं आऊँ ख़बर कहे मेरा भाई

कहावत

दिल्ली से मैं आऊँ ख़बर कहे मेरा भाई, घर से आए कोई संदेसा दे कोई के हिंदी अर्थ

  • ये कहावत उन लोगों के प्रति बोलते हैं जिन को किसी बात का ज्ञान होना आवश्यक समझा जाता है मगर वो लापरवाही या मूर्खता के कारण इस बात से अनभिज्ञ या अज्ञानी हों
  • कोई पुरानी ख़बर सुनाए तो कहते हैं
  • किसी से कोई ग़लत बात जोड़ने या बे-पर की उड़ाने पर कहते हैं
  • जब कोई आदमी किसी जानी हुई बात को स्वयं न कह कर किसी दूसरे से पूछने के लिए कहे जिसे उसका कोई ज्ञान नहीं या कोई दूसरा सुनाने आए तब कहते हैं

دِلّی سے مَیں آؤُں خَبَر کَہے میرا بھائی، گَھر سے آئے کوئی سَندیسا دے کوئی کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • یہ کہاوت ان لوگوں کی نسبت بولتے ہیں جن کو کسی بات کا علم ہونا ضروری سمجھا جاتا ہے مگر وہ بوجہ غفلت یا کم عقلی کے اس امر سے غافل یا لاعلم ہوں
  • کوئی پرانی خبر سنائے تو کہتے ہیں
  • کسی سے کوئی غلط بات منسوب کرنے یا بے پَر کی اڑانے پر کہتے ہیں
  • جب کوئی آدمی کسی جانی ہوئی بات کو خود نہ کہہ کر کسی دوسرے سے پوچھنے کے لئے کہے جسے اس کا کوئی علم نہیں یا کوئی دوسرا سنانے آئے تب کہتے ہیں

Urdu meaning of dillii se mai.n aa.uu.n KHabar kahe meraa bhaa.ii, ghar se aa.e ko.ii sandesaa de ko.ii

  • Roman
  • Urdu

  • ye kahaavat un logo.n kii nisbat bolte hai.n jin ko kisii baat ka ilam honaa zaruurii samjhaa jaataa hai magar vo bojh Gaflat ya kam aklii ke is amar se Gaafil ya laa.ilam huu.n
  • ko.ii puraanii Khabar sunaa.e to kahte hai.n
  • kisii se ko.ii Galat baat mansuub karne ya be par kii u.Daane par kahte hai.n
  • jab ko.ii aadamii kisii jaanii hu.ii baat ko Khud na kah kar kisii duusre se puuchhne ke li.e kahe jise is ka ko.ii ilam nahii.n ya ko.ii duusraa sunaane aa.e tab kahte hai.n

खोजे गए शब्द से संबंधित

मुज्मल की रू से

संक्षेप में, संक्षिप्त रूप में, मुख़्तसर तौर पर, थोड़े शब्दों में

इस की रू से

according to

हिसाब की रू से

as per calculation or accounts

दो आदमियों की गवाही से फाँसी होती है

दो लोगों की बात का बड़ा प्रभाव होता है, दो लोगों की राय महत्वपूर्ण होती है

झूटे की कुछ पत नहीं सजन झूट न बोल, लख-पति का झूट से दो कौड़ी का हो मोल

झूठे का कोई सम्मान नहीं होता

झूटे की कुछ पत नहीं सजन झूट न बोल, लख-पति का झूट से दो कौड़ी हो मोल

झूठे का कोई सम्मान नहीं होता

शाह ख़ानम की आँखें दुखती हैं, शहर के चराग़ दीए गुल कर दो

ऐसी नाज़ुक मिज़ाज और मुतकब्बिर हैं कि अपनी तकलीफ़ के साथ औरों को भी तकलीफ़ देने से परहेज़ नहीं करतीं, अपनी तकलीफ़ और मुसीबत में औरों को मुबतला करना

टुकड़ा सा तोड़ के हाथ में दे देना

लगी लिपटी ना रखना, साफ़ जवाब देना, दो टोक जवाब देना, इनकार करदेना

गुड़ न दे गुड़ की सी बात तो करे

a kind word costs nothing

गुड़ न दे तो गुड़ की सी बात तो कहे

अगर किसी से अच्छा व्यव्हार न कर सके तो विनम्रता से तो बोले

कोई कौड़ी के दो बेर भी हाथ से न खाए

सख़्त ज़लील-ओ-बेवुक़त है

अपने सूई न जाने दो, दूसरे के भाले घुसेड़ दो

स्वयं थोड़ी पीड़ा भी गवारा नहीं दूसरे पर बड़ी बड़ी विपत्तियाँ ढाई जाती हैं

रज़ील की दो न अशराफ़ की सौ

कमीने की दो गालियां भी शरीफ़ की सौ गालियों से बढ़ कर होती हैं

घर से आए कोई, संदसा दे कोई

रुक : घर से आए हैं अलख

रानी को बाँदी कहा हँस दी, बाँदी से बाँदी कहा रो दी

कमीने की वास्तविक्ता स्पष्ट की जाये या किसी का वास्तविक दोष वर्णित किया जाये तो उसे अप्रिय जान पड़ता है

नाई दाई , धोबी , बेद , क़साई उन का सू तक कभी न जाई

ये चारों हमेशा से कसीफ़ तबीयत होते हैं, ये चारों हमेशा नापाक रहते हैं

हाथ से कोड़ी के दो बेर भी न खाना

बड़ी नाक़द्री करना

चंदन पड़ा चमार के नित उठ कूटे चाम, रो रो चंदन मही फिरे पड़ा नीच से काम

अच्छी चीज़ नाक़द्र शनास के हाथ लग जाये-ओ-वो क़दर नहीं करता और फ़ुज़ूल कामों में इस्तिमाल करता है

दिल्ली से मैं आऊँ ख़बर कहे मेरा भाई, घर से आए कोई संदेसा दे कोई

ये कहावत उन लोगों के प्रति बोलते हैं जिन को किसी बात का ज्ञान होना आवश्यक समझा जाता है मगर वो लापरवाही या मूर्खता के कारण इस बात से अनभिज्ञ या अज्ञानी हों

साजन हम तुम ऐक हैं देखत के हैं दो, मन से मन को तौल दो मन कदी न हो

हम तुम असल में एक हैं भले ही दो दिखाई देते हैं

राई से काई करना

रेज़ा रेज़ा या टुकड़े टुकड़े कर देना , नीस्त-ओ-नाबूद कर देना, तबाह-ओ-बर्बाद कर देना

राई से काई होना

राई से काई करना (रुक) का लाज़िम

सियार औरों को शगून दे , आप कुत्तों से डरे

गीदड़ का रास्ते में मिलना अच्छ्াा शगून समझा जाता है मगर ख़ुद कुत्तों से डरता है यानी दूओसरों को फ़ायदा पहुंचाए मगर ख़ुद को कोई फ़ायदा ना हो

बिन मतलब के सौ मतलब के दो

अपनी पसंद और ज़रूरत की थोड़ी चीज़, बगैर पसंद या ज़रूरत की ज़्यादा चीज़ से बहुत बेहतर होती है

रूई का सा गाला

अधिक चिकनी और सफ़ेद चीज़

दुधैल गाय की दो लातें भी सही जाती हैं

किसी ख़ूबी या लाभ के कारण बुराई या तकलीफ़ सहन कर ली जाती है

दुधैल गाय की दो लातें भी सही जाती हैं

जिस से नफ़ा पहुंचता है इस की नाज़ बर्दारी बुरी नीहं मालूम होती फ़ायदे के लिए तकलीफ़ उठाना बुरा नहीं लगता

एक से ले, एक को दे

ईश्वर किसी को धनी बनाता है किसी को निर्धन

बुरे का साथ दे सो भी बुरा

बुरे व्यक्ति का मित्र भी बुरा ही होता है

मन की मुर्री किस से कहूँ पेट मसोसा दे दे रहूँ

अपना दुख या भूक किस से कहूँ पेट दबा कर चुप हो रहती हूँ

दूध की सी मक्खी निकाल कर फेंक दी

किसी निकट संबंधी को अपने यहाँ से निकाल देना, अधिकारच्युत कर देना, संबंध तोड़ देना

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

सुझाव दीजिए (दिल्ली से मैं आऊँ ख़बर कहे मेरा भाई, घर से आए कोई संदेसा दे कोई)

नाम

ई-मेल

प्रतिक्रिया

दिल्ली से मैं आऊँ ख़बर कहे मेरा भाई, घर से आए कोई संदेसा दे कोई

चित्र अपलोड कीजिएअधिक जानिए

नाम

ई-मेल

प्रदर्शित नाम

चित्र संलग्न कीजिए

चित्र चुनिए
(format .png, .jpg, .jpeg & max size 4MB and upto 4 images)

सूचनाएँ और जानकारी प्राप्त करने के लिए सदस्यता लें

सदस्य बनिए
बोलिए

Delete 44 saved words?

क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा

Want to show word meaning

Do you really want to Show these meaning? This process cannot be undone