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हम को हे हे करे

रुक : हम को पीटे

हा-का

جنگلی جانوروں کو ان کے ٹھکانوں سے نکالنے کے لیے گونجیلی آوازیں نکالنے کا عمل ؛ (شکار کی غرض سے) جانوروں کو اپنے ٹھکانوں سے باہر لانے کے لیے خاص قسم کی آواز لگانا (رک : ہانکا) ۔

हे हे करे

हम को रोय, हमारे ग़म में सर पीटे (सख़्त क़िस्म देने के लिए मुस्तामल, यानी फ़ुलां काम करे या ना करे तो हमें रोय, हमारा मातम करे)

हमें हे हे करे

(अविर) एक किस्म की सख़्त क़िस्म, हमें पीटे, हमारा मातम करे, हमें रोय

हमीं को हे हे करके पीटे

रुक : हमें है है करे , हमारा मातम करे, हमारा मुर्दा देखे

मुझ को पाता है तो हथियार को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

साजन हम तुम ऐक हैं देखत के हैं दो, मन से मन को तौल दो मन कदी न हो

हम तुम असल में एक हैं भले ही दो दिखाई देते हैं

हाँ कूँ हाँ

رک : ہاں میں ہاں ۔

लोहा करे अपनी बड़ाई, हम भी हैं महा देव के भाई

योग्यता साधारण दावा बहुत बड़ा

लोहा करे अपनी लड़ाई, हम भी हैं महा देव के भाई

योग्यता साधारण दावा बहुत बड़ा

वो मर गए हम को मरना है

परिणाम स्वरूप हर एक को मरना है (क़सम के रूप में या सत्यता का विश्वास दिलाने के लिए) सबको एक दिन मरना है, मानव नश्वर है (पछतावे के प्रकटन के रूप में)

मरो या जियो हम को अपने हलवे माँडे से मतलब है

स्वार्थी का कहना कि चाहे कोई मरे या जिये उन का फ़ायदा हो

बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

जब बाड़ ही खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

पत्थर के कीड़े को भी ख़ुदा देता है

۔ख़ुदा ताला हर शख़्स को रिज़्क देता है कोई महरूम नहीं रहता।

हम ही को करना सिखाने आया है

वह हमसे चालाकी करता है

हम रोटी नहीं खाते रोटी हम को खाती है

بڑی تنگی سے بسر ہوتی ہے ، کھانے کی محنت اور تکلیف زیادہ تنگ کرتی ہے

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, कड़ी बड़ंगा तोड़ के ऊपर ही को लो

एक लड़का एक खंबा को दोनों हाथों से पकड़े हुए था, बाप ने चुने दिए तो उसने दोनों हाथ फैला कर ले लिए फिर हाथ न निकल सके, लाल बुझक्कड़ को बुलाया गया, उसने कहा कि छत उतार कर लड़के को ऊपर खींच लो

वली सब का अल्लाह है हम तो रखवाले हैं

सब का मालिक ईश्वर है हम तो मात्र रखवाले हैं

आप ने उड़ाई है हम ने भून भून खाई है

हम तुम से ज़्यादा चालाक हैं, तुम्हारी चालों को ख़ूब समझते हैं

वही हम हैं वही तुम हो

हम तुम एक दूसरे के क़दीमी वाक़िफ़ कार हैं, हम तुम एक जैसे हैं, हम में और तुम में कोई फ़र्क़ नहीं, जो हम हैं वही तुम इस लिए आपस में लड़ना झगड़ना नहीं चाहिए नीज़ हम दोनों में से कोई नहीं बदला है

घोड़ी को इशारा काफ़ी है , गधे को लाठियाँ पीटा करो

शरीफ़ इशारों से मान जाता है, कमीना या ज़लील पट कर भी नहीं समझता

ग़रीब को कौड़ी अशरफ़ी है

ग़रीब बहुत थोड़ी चीज़ से राज़ी या ख़ुश हो जाता है

हम ने भी दुनिया देखी है

हम भी बहुत अनुभवी हैं

हम ही हम हैं

हमारे सिवा कोई और नहीं है, हम सब से बढ़ कर हैं

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नवड़िया पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

आदमी अन्न का कीड़ा है

मनुष्य बिना भोजन किए जीवित नहीं रह सकता, मानवीय जीवन की निर्भरता भोजन पर है

बैद करे बैदाई चांगाई करे ख़ुदा ही

आदमी अपनी तरफ़ से उपाय करता रहे अब रही सफलता सो वह ईश्वर के हाथ है

हम ने क्या घास खोदी है

क्या तुम हमें बेवक़ूफ़ समझते हो, हम बेवक़ूफ़ नहीं हैं तुम्हारी चाल समझते हैं

पीतम बसें पहाड़ पर और हम जमुना के तीर, अब कि मिलना कठिन है कि पाँव पड़ी ज़ंजीर

प्रीतम पहाड़ पर रहता है और हम जमुना के किनारे अब मिलना मुश्किल है क्यूँकि रखवाली होती है अर्थात यहाँ से निकलना कठिन है

चख डाल माल धन को कौड़ी न रख कफ़न को, जिस ने दिया है तन को देगा वही कफ़न को

आनंद लो ख़र्च करो, किसी बात की परवाह नहीं

चख डाल माल धन को कौड़ी न रख कफ़न को, जिस ने दिया है तन को देगा वही मन को

आनंद लो ख़र्च करो, किसी बात की परवाह नहीं

आदमी अनाज का कीड़ा है

मनुष्य के जीवन का आश्रय भोजन पर है, मनुष्य खाए बिना जीवित नहीं रह सकता

बाड़ ही जब खेत खाए तो रखवाली कौन करे

जब रक्षक ही भक्षक हो तो किस से सहायता की गुहार लगाई जाये

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नय्या पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

जो बंदा-नवाज़ी करे जाँ उस पे फ़िदा है, बे-फ़ैज़ अगर यूसुफ़-ए-सानी है तो क्या है

जो व्यक्ति कृपा करे उस पर लोग जान न्योछावर करते हैं, अनुपकारी व्यक्ति किसी काम का नहीं होता

मग़्ज़ में कीड़ा है

दिमाग़ ख़राब है, घमंडी है, अहंकारी है

वक़्त सब कुछ करा लेता है

अवसर और आवश्यकता के समय मनुष्य वह काम कर लेता है जो वह प्राय: अर्थात आमतौर पर नहीं कर सकता

वो तो हम समझे ही थे

हमें तो पहले से मालूम था

तुम को हम से अनेक हैं हम को तुम सा एक, रवी को कंवल अनेक हैं कंवल को रवी एक

वफ़ादार पत्नी अपने पति से कहती है कि तुम्हारे लिए तो मेरे जैसी बहुत सी स्त्रियाँ हैं मगर मेरे लिए तुम एक ही हो जैसे सूरज के लिए कंवल बहुत हैं मगर कंवल के लिए सूरज एक ही है

तुम को हम सी अनेक हैं हम को तुम सा एक, रवी को कंवल अनेक हैं कंवल को रवी एक

वफ़ादार पत्नी अपने पति से कहती है कि तुम्हारे लिए तो मेरे जैसी बहुत सी स्त्रियाँ हैं मगर मेरे लिए तुम एक ही हो जैसे सूरज के लिए कंवल बहुत हैं मगर कंवल के लिए सूरज एक ही है

सर गाड़ी पैर पहिया करे तो रोटी मिलती है

मेहनत करने से रोटी हासिल होती है

मोरी का कीड़ा मोरी में ख़ुश रहता है

۔(دہلی) (عو) مثل جو گندگی میں پلا ہو وہ گندگی میں خوش رہتا ہے۔

मोरी का कीड़ा मोरी ही में ख़ुश रहता है

جو بُری جگہ یا صحبت میں رہنے کا عادی ہوجائے اس کا جی دوسری جگہ نہیں لگتا (رک : گو کا کیڑا گو میں خوش رہتا ہے) ۔

गू का कीड़ा गू ही में ख़ुश रहता है

जो आदमी जैसी संगत में पला होता है वैसी ही संगत उस को भली मालूम होती है

साधू हो कर करे जो चोरी , उस का घर हे नरक की मोरी

जो साधूओ हो कर चोरी करे दोज़ख़ में जाएगा

इंसान अनाज का कीड़ा है

मनुष्य के जीवन का आश्रय भोजन पर है, मनुष्य खाए बिना जीवित नहीं रह सकता

किसी की माँ ने धोंसा खाया है जो तुम्हारा मुक़ाबला करे

कौन तुम्हारा प्रतिस्पर्धा अर्थात मुक़ाबला कर सकता है अर्थात हर व्यक्ति अशिष्ट और मुँहफट से कनिया जाता है

सब्ज़ सब्ज़ क्या है , 'आशिक़ों को रवा है

भंगड़ भंग पीते वक़्त कहते हैं कि सबज़ रंग की चीज़ जायज़ है

हम रोटी नहीं खाते रोटी हमें खाती है

بڑی تنگی سے بسر ہوتی ہے ، کھانے کی محنت اور تکلیف زیادہ تنگ کرتی ہے

काँड़े की एक रग सवा होती है

काने में शरारत अधिक होती है

ज़रूरत सब कुछ करा लेती है

आवश्यक्ता के समय जो कुछ हो सकता है किया जाता है, नेकनामी बदामी का कुछ भय नहीं होता

मोरी का कीड़ा मोरी ही में ख़ुश रहे

جو بُری جگہ یا صحبت میں رہنے کا عادی ہوجائے اس کا جی دوسری جگہ نہیں لگتا (رک : گو کا کیڑا گو میں خوش رہتا ہے) ۔

शकर-ख़ोरे को ख़ुदा शकर ही देता है

ईश्वर हर व्यक्ति को उसकी इच्छा और ख़र्च के अनुसार देता है, जिसे जिस वस्तु की कामना हो उसको मिल जाती है

ख़ुदा शकर-ख़ोरे को शकर ही देता है

ईश्वर हर व्यक्ति को उसकी इच्छा और ख़र्च के अनुसार देता है, जिसे जिस वस्तु की कामना हो उसको मिल जाती है

हमारी बिस्मिल्लाह और हम से ही छू

रुक : हमारी बिल्ली और हमें से मियाऊं, जो मारूफ़-ओ-मुस्तामल है

ख़ुदा जब किसी को नवाज़ता है तो छप्पर फाड़ कर नवाज़ता है

अल्लाह जिस तरह चाहे और जब चाहे अपने बंदों पर लुतफ़-ओ-करम की बारिश कर देता है

नज़र पत्थर को तोड़ देती है

नज़र बद का असर पत्थर जैसी सख़्त चीज़ को भी तोड़ देता है

दीवानी आदमी को दीवाना कर देती है

दीवानी के मुक़द्दमात आदमी को पागल बना देते हैं, वह मुद्दतों तक चलते रहते हैं और मुद्दतों में उनके फ़ैसले होते हैं

ख़ुदा शकर ख़ोरे को शक्कर ही देता है

जो जिस वस्तु का इच्छुक होता है उस के लिए वैसा ही सामान उपस्थित कर दिया जाता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में आदमी अन्न का कीड़ा है के अर्थदेखिए

आदमी अन्न का कीड़ा है

aadmii ann kaa kii.Daa haiآدْمی اَنَّ کا کِیڑا ہے

कहावत

आदमी अन्न का कीड़ा है के हिंदी अर्थ

  • मनुष्य बिना भोजन किए जीवित नहीं रह सकता, मानवीय जीवन की निर्भरता भोजन पर है

English meaning of aadmii ann kaa kii.Daa hai

  • man lives by bread alone, cereal are must for mankind

آدْمی اَنَّ کا کِیڑا ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • انسان بغیر غذا کھائے زندہ نہیں رہ سکتا، انسانی زندگی کا دار و مدار غذا پر ہے

Urdu meaning of aadmii ann kaa kii.Daa hai

  • Roman
  • Urdu

  • insaan bagair Gizaa khaa.e zindaa nahii.n rah saktaa, insaanii zindgii kaadaar-o-madaar Gizaa par hai

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हम को हे हे करे

रुक : हम को पीटे

हा-का

جنگلی جانوروں کو ان کے ٹھکانوں سے نکالنے کے لیے گونجیلی آوازیں نکالنے کا عمل ؛ (شکار کی غرض سے) جانوروں کو اپنے ٹھکانوں سے باہر لانے کے لیے خاص قسم کی آواز لگانا (رک : ہانکا) ۔

हे हे करे

हम को रोय, हमारे ग़म में सर पीटे (सख़्त क़िस्म देने के लिए मुस्तामल, यानी फ़ुलां काम करे या ना करे तो हमें रोय, हमारा मातम करे)

हमें हे हे करे

(अविर) एक किस्म की सख़्त क़िस्म, हमें पीटे, हमारा मातम करे, हमें रोय

हमीं को हे हे करके पीटे

रुक : हमें है है करे , हमारा मातम करे, हमारा मुर्दा देखे

मुझ को पाता है तो हथियार को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

साजन हम तुम ऐक हैं देखत के हैं दो, मन से मन को तौल दो मन कदी न हो

हम तुम असल में एक हैं भले ही दो दिखाई देते हैं

हाँ कूँ हाँ

رک : ہاں میں ہاں ۔

लोहा करे अपनी बड़ाई, हम भी हैं महा देव के भाई

योग्यता साधारण दावा बहुत बड़ा

लोहा करे अपनी लड़ाई, हम भी हैं महा देव के भाई

योग्यता साधारण दावा बहुत बड़ा

वो मर गए हम को मरना है

परिणाम स्वरूप हर एक को मरना है (क़सम के रूप में या सत्यता का विश्वास दिलाने के लिए) सबको एक दिन मरना है, मानव नश्वर है (पछतावे के प्रकटन के रूप में)

मरो या जियो हम को अपने हलवे माँडे से मतलब है

स्वार्थी का कहना कि चाहे कोई मरे या जिये उन का फ़ायदा हो

बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

जब बाड़ ही खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

पत्थर के कीड़े को भी ख़ुदा देता है

۔ख़ुदा ताला हर शख़्स को रिज़्क देता है कोई महरूम नहीं रहता।

हम ही को करना सिखाने आया है

वह हमसे चालाकी करता है

हम रोटी नहीं खाते रोटी हम को खाती है

بڑی تنگی سے بسر ہوتی ہے ، کھانے کی محنت اور تکلیف زیادہ تنگ کرتی ہے

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, कड़ी बड़ंगा तोड़ के ऊपर ही को लो

एक लड़का एक खंबा को दोनों हाथों से पकड़े हुए था, बाप ने चुने दिए तो उसने दोनों हाथ फैला कर ले लिए फिर हाथ न निकल सके, लाल बुझक्कड़ को बुलाया गया, उसने कहा कि छत उतार कर लड़के को ऊपर खींच लो

वली सब का अल्लाह है हम तो रखवाले हैं

सब का मालिक ईश्वर है हम तो मात्र रखवाले हैं

आप ने उड़ाई है हम ने भून भून खाई है

हम तुम से ज़्यादा चालाक हैं, तुम्हारी चालों को ख़ूब समझते हैं

वही हम हैं वही तुम हो

हम तुम एक दूसरे के क़दीमी वाक़िफ़ कार हैं, हम तुम एक जैसे हैं, हम में और तुम में कोई फ़र्क़ नहीं, जो हम हैं वही तुम इस लिए आपस में लड़ना झगड़ना नहीं चाहिए नीज़ हम दोनों में से कोई नहीं बदला है

घोड़ी को इशारा काफ़ी है , गधे को लाठियाँ पीटा करो

शरीफ़ इशारों से मान जाता है, कमीना या ज़लील पट कर भी नहीं समझता

ग़रीब को कौड़ी अशरफ़ी है

ग़रीब बहुत थोड़ी चीज़ से राज़ी या ख़ुश हो जाता है

हम ने भी दुनिया देखी है

हम भी बहुत अनुभवी हैं

हम ही हम हैं

हमारे सिवा कोई और नहीं है, हम सब से बढ़ कर हैं

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नवड़िया पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

आदमी अन्न का कीड़ा है

मनुष्य बिना भोजन किए जीवित नहीं रह सकता, मानवीय जीवन की निर्भरता भोजन पर है

बैद करे बैदाई चांगाई करे ख़ुदा ही

आदमी अपनी तरफ़ से उपाय करता रहे अब रही सफलता सो वह ईश्वर के हाथ है

हम ने क्या घास खोदी है

क्या तुम हमें बेवक़ूफ़ समझते हो, हम बेवक़ूफ़ नहीं हैं तुम्हारी चाल समझते हैं

पीतम बसें पहाड़ पर और हम जमुना के तीर, अब कि मिलना कठिन है कि पाँव पड़ी ज़ंजीर

प्रीतम पहाड़ पर रहता है और हम जमुना के किनारे अब मिलना मुश्किल है क्यूँकि रखवाली होती है अर्थात यहाँ से निकलना कठिन है

चख डाल माल धन को कौड़ी न रख कफ़न को, जिस ने दिया है तन को देगा वही कफ़न को

आनंद लो ख़र्च करो, किसी बात की परवाह नहीं

चख डाल माल धन को कौड़ी न रख कफ़न को, जिस ने दिया है तन को देगा वही मन को

आनंद लो ख़र्च करो, किसी बात की परवाह नहीं

आदमी अनाज का कीड़ा है

मनुष्य के जीवन का आश्रय भोजन पर है, मनुष्य खाए बिना जीवित नहीं रह सकता

बाड़ ही जब खेत खाए तो रखवाली कौन करे

जब रक्षक ही भक्षक हो तो किस से सहायता की गुहार लगाई जाये

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नय्या पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

जो बंदा-नवाज़ी करे जाँ उस पे फ़िदा है, बे-फ़ैज़ अगर यूसुफ़-ए-सानी है तो क्या है

जो व्यक्ति कृपा करे उस पर लोग जान न्योछावर करते हैं, अनुपकारी व्यक्ति किसी काम का नहीं होता

मग़्ज़ में कीड़ा है

दिमाग़ ख़राब है, घमंडी है, अहंकारी है

वक़्त सब कुछ करा लेता है

अवसर और आवश्यकता के समय मनुष्य वह काम कर लेता है जो वह प्राय: अर्थात आमतौर पर नहीं कर सकता

वो तो हम समझे ही थे

हमें तो पहले से मालूम था

तुम को हम से अनेक हैं हम को तुम सा एक, रवी को कंवल अनेक हैं कंवल को रवी एक

वफ़ादार पत्नी अपने पति से कहती है कि तुम्हारे लिए तो मेरे जैसी बहुत सी स्त्रियाँ हैं मगर मेरे लिए तुम एक ही हो जैसे सूरज के लिए कंवल बहुत हैं मगर कंवल के लिए सूरज एक ही है

तुम को हम सी अनेक हैं हम को तुम सा एक, रवी को कंवल अनेक हैं कंवल को रवी एक

वफ़ादार पत्नी अपने पति से कहती है कि तुम्हारे लिए तो मेरे जैसी बहुत सी स्त्रियाँ हैं मगर मेरे लिए तुम एक ही हो जैसे सूरज के लिए कंवल बहुत हैं मगर कंवल के लिए सूरज एक ही है

सर गाड़ी पैर पहिया करे तो रोटी मिलती है

मेहनत करने से रोटी हासिल होती है

मोरी का कीड़ा मोरी में ख़ुश रहता है

۔(دہلی) (عو) مثل جو گندگی میں پلا ہو وہ گندگی میں خوش رہتا ہے۔

मोरी का कीड़ा मोरी ही में ख़ुश रहता है

جو بُری جگہ یا صحبت میں رہنے کا عادی ہوجائے اس کا جی دوسری جگہ نہیں لگتا (رک : گو کا کیڑا گو میں خوش رہتا ہے) ۔

गू का कीड़ा गू ही में ख़ुश रहता है

जो आदमी जैसी संगत में पला होता है वैसी ही संगत उस को भली मालूम होती है

साधू हो कर करे जो चोरी , उस का घर हे नरक की मोरी

जो साधूओ हो कर चोरी करे दोज़ख़ में जाएगा

इंसान अनाज का कीड़ा है

मनुष्य के जीवन का आश्रय भोजन पर है, मनुष्य खाए बिना जीवित नहीं रह सकता

किसी की माँ ने धोंसा खाया है जो तुम्हारा मुक़ाबला करे

कौन तुम्हारा प्रतिस्पर्धा अर्थात मुक़ाबला कर सकता है अर्थात हर व्यक्ति अशिष्ट और मुँहफट से कनिया जाता है

सब्ज़ सब्ज़ क्या है , 'आशिक़ों को रवा है

भंगड़ भंग पीते वक़्त कहते हैं कि सबज़ रंग की चीज़ जायज़ है

हम रोटी नहीं खाते रोटी हमें खाती है

بڑی تنگی سے بسر ہوتی ہے ، کھانے کی محنت اور تکلیف زیادہ تنگ کرتی ہے

काँड़े की एक रग सवा होती है

काने में शरारत अधिक होती है

ज़रूरत सब कुछ करा लेती है

आवश्यक्ता के समय जो कुछ हो सकता है किया जाता है, नेकनामी बदामी का कुछ भय नहीं होता

मोरी का कीड़ा मोरी ही में ख़ुश रहे

جو بُری جگہ یا صحبت میں رہنے کا عادی ہوجائے اس کا جی دوسری جگہ نہیں لگتا (رک : گو کا کیڑا گو میں خوش رہتا ہے) ۔

शकर-ख़ोरे को ख़ुदा शकर ही देता है

ईश्वर हर व्यक्ति को उसकी इच्छा और ख़र्च के अनुसार देता है, जिसे जिस वस्तु की कामना हो उसको मिल जाती है

ख़ुदा शकर-ख़ोरे को शकर ही देता है

ईश्वर हर व्यक्ति को उसकी इच्छा और ख़र्च के अनुसार देता है, जिसे जिस वस्तु की कामना हो उसको मिल जाती है

हमारी बिस्मिल्लाह और हम से ही छू

रुक : हमारी बिल्ली और हमें से मियाऊं, जो मारूफ़-ओ-मुस्तामल है

ख़ुदा जब किसी को नवाज़ता है तो छप्पर फाड़ कर नवाज़ता है

अल्लाह जिस तरह चाहे और जब चाहे अपने बंदों पर लुतफ़-ओ-करम की बारिश कर देता है

नज़र पत्थर को तोड़ देती है

नज़र बद का असर पत्थर जैसी सख़्त चीज़ को भी तोड़ देता है

दीवानी आदमी को दीवाना कर देती है

दीवानी के मुक़द्दमात आदमी को पागल बना देते हैं, वह मुद्दतों तक चलते रहते हैं और मुद्दतों में उनके फ़ैसले होते हैं

ख़ुदा शकर ख़ोरे को शक्कर ही देता है

जो जिस वस्तु का इच्छुक होता है उस के लिए वैसा ही सामान उपस्थित कर दिया जाता है

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